याद सताए तेरी सोन चिरैया | Kavita
याद सताए तेरी सोन चिरैया
( Yad Sataye Teri Son Chiraiya )
( Yad Sataye Teri Son Chiraiya )
जीवन का आनंद **** (मंजूर के दोहे) १) उठाओ पल पल जग में, जीवन का आनंद। चिंता व्यर्थ की त्यागें, रहें सदा सानंद।। २) खुशी खुशी जो बीत गए,क्षण वही अमृत जान। बिना पक्ष और भेद किए,आओ सबके काम।। ३) यह आनंद जीवन का, कस्तूरी के समान। साथ रहे व संग चले, कठिन…
संभल जा ज़रा ( Sambhal ja zara ) ए-दोस्त… संभल जा ज़रा पछताएगा,रोएगा अपने किए दुष्कृत्यों पर फिर सोच सोच कर…. अभी समय है बच सकता है तो बच बचा सकता है तो बचा अपनों के अहसासों को अपनों के अरमानों को….. तुमसे ही तो सारी उम्मीदें हैं तुम ही तो पालनकर्ता हो अब तुम…
हम कब जागेंगे? ( Hum kab jagenge ) अपनों की आवाज़ अपनों के खिलाफ बुलंद कराते हैं.. कुछ टुकड़े फेंक ललचाते हैं और हम, आपस में टकराते हैं! जाल यही हुक्मरानों की चाल यही राजघरानों की हमें बांट, लहू ये पीते हैं और लाशों पर फख्र से जीते हैं उनकी चालों के हम मुहरें हैं…
आपके ही गॉंव में,कब से नदी इक ठहरी है ( Aap Ke Hi Gaon Me Kub Se Nadi Ek Thahri Hai ) आपके ही गॉंव में,कब से नदी इक ठहरी है। और नीचे बस्तियों में,जल की अफ़रा-तफ़री है। जो विमानों से शहर की, दूरियों को मापते हैं, उनको क्या मालूम कैसी,जेठ की…
मालिक का दरबार ( Malik Ka Darbar ) यह सारी दुनिया ही उस मालिक का दरबार हो जाए, अगर आदमी को आदमी से सच्चा प्यार हो जाए । जाति-मज़हब के नाम पर और लड़ाइयाँ ना होंगी, अगर इंसानियत ही सबसे बड़ा व्यापार हो जाए । हरेक कामगार को मयस्सर हो उनके हक़ की रोटी, अगर मालिक-मज़दूर…
करूं भी तो क्या हम सबकी जिंदगी भी एक सर्किल की तरह है,इसी में हम सब उलझें और घूमते रहते हैं हरदम।लाइन पर सीधा चलना तुम भी भूले और हम भी,अपने ही कामों में उलझे रहते हैं अब तो हरदम।। हम सबका था रंगीन जीवन अब बेरंग हो गया है,कलर प्लेट में है,या प्लेट कलर…