हम जीतेंगे...हम जरूर जीतेंगे

हम जीतेंगे | Hum jeetenge

अंततः अगले 21 दिनों (14 Apr ) तक पूरे देश मे लॉकडाउन (एक तरह से कर्फ्यू) लगा दिया गया।इस महामारी को देखते हुए सरकार का यह कदम स्वागतयोग्य है।

अगले 21 दिनों तक निश्चित ही हम लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा लेकिन यह देश के लिए, हमारे लिए बहुत जरूरी है।

मैं सोचता हूँ यह कदम करीब 10 दिन पहले ही उठा लेना चाहिए था तब शायद हमे इतने दिनों तक लॉकडाउन सहन न करना पड़ता।

अब तक स्थिति कंट्रोल में आ जाती। लेकिन अभी भी ज्यादा कुछ नही बिगड़ा। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश को देखते हुए अगर स्थिति बिगड़ने से पहले ही नियंत्रित कर ली जाती है तो यह इस देश की,हम सबकी बहुत बड़ी जीत होगी।

हमारे पास ऐसा नेता भी है जिसकी बात पूरा भारत सुनता/मानता है। इसका एक उदाहरण 22 मार्च को भी हमे देखने को मिला जब मोदीजी द्वारा 14 घण्टे की “जनता कर्फ्यू” की अपील और शाम 5 बजे स्वास्थ्य सेवाओं में लगे डॉक्टरों, नर्सों, सफाई कर्मचारियों, पुलिस, आर्मी आदि के समर्थन में 5 मिनट के लिए ताली/थाली/घण्टी आदि बजाने का अनुरोध किया गया।
पूरे देश की जनता ने जिस तरह से इसका पालन किया उससे यह उम्मीद बंधती है कि हम जल्द ही इस बीमारी से पार पा लेंगे।यद्यपि अभी भी लोग नासमझी कर रहे हैं और लापरवाही में यह भूल ही जाते हैं यह संक्रमण कितना घातक है।
इसका उदाहरण भी हमे देखने को मिला जब शाम को 5 बजे ताली आदि बजाने के मोदी जी के अनुरोध को कुछ लोगों ने अच्छे से पालन किया तो वहीं कुछ लोग जानते-समझते हुए भी नादानी कर रहे थे।
वह उत्साह में समूह के रूप में इस तरह बाहर निकल आये जैसे इंडिया वर्ल्डकप जीत गया हो या कोई चुनाव प्रचार चल रहा हो। वह यह भूल ही गए कि करीब 9 घण्टे तक घर मे वह किसलिए बन्द रहे।
समूह में आने से रोकने के लिए/भीड़ इकट्ठी न होने देने के लिए ही मोदी जी ने “जनता कर्फ्यू”का आह्वान किया था लेकिन कुछ लोगों ने “जनता कर्फ्यू” को भी सेलिब्रेट करना शुरू कर दिया।
चौंकाने वाली बात यह रही कि इसमें पढ़े-लिखे और प्रशासनिक अधिकारी तक सम्मिलित हुए यहां तक कि एकाध जगह के DM भी।
अब ऐसे लोगों से क्या उम्मीद की जाए। जिनके ऊपर कानून का पालन करवाने की जिम्मेदारी है वही ताली/थाली पीटते हुए जनसमूह इकट्ठा करेंगे तो आम लोगों से क्या उम्मीद की जाए।
इस मुश्किल समय मे जब एक गलती भी हम पर भारी पड़ सकती है तब ऐसी चीजें हमारी मुहिम, हमारे हौसले को कमजोर ही करती हैं। भारतीय चेतना देर से ही सही लेकिन जागती जरूर है इसलिए मुझे विश्वास है कि हम इस बीमारी को काबू कर लेंगे।
और यही हमारे पास एकमात्र रास्ता भी है क्योंकि अगर यह फैली तो इसे रोकना कठिन होगा। यहां के लचर स्वास्थ्य ढांचे को देखते हुए सबसे अच्छा तो यही है कि जितना सम्भव हो सके या यूं कहें कि हर हाल में हमे इसे फैलने से रोकना ही है।
यह 21 दिन हम सबके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। भारतवासियों के संयम, बुद्धि की परीक्षा इन्ही 21 दिनों में हो जानी है। हमारी सोच, हमारे कर्मों पर निर्भर करेगा कि हम इस मुश्किल लड़ाई में जीते या हारे।
मुझे विश्वास है कि हम सबकी अपेक्षाओं में खरे उतरेंगे  । हम जीतेंगे…हम जरूर जीतेंगे।
#STAY HOME AND SAVE LIFE

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