#FIRST_LOVE
(An one-sided love story)
#पार्ट_2
15 दिन हो गए हैं, वह नही आई।मेरा अब यहां जी नहीं लगता। मैं मन बहलाने के लिए गांव भी गया लेकिन कोई फायदा नही हुआ।गांव में भी उसकी यादें,उसका चेहरा,उसका मुस्कुराना मुझे बेचैन किये रहा।मैं जब तक गांव में रहा एक उम्मीद बनी रहती कि शायद वह आ गयी हो। यही उम्मीद मुझे फिर से मेरे रूम तक खींच लाई है।वह अब भी नही आई।उसे कहाँ खोजूँ???
मैं शाम को सड़कों पर यूं ही आवारा घूमता रहता हूँ। कहीं किसी दुकान के सामने उसके जैसे कपड़े पहने हुए, उसकी कद-काठी की कोई लड़की दिख जाती है तो वहीं खड़ा हो जाता हूँ। जब वह पलटती है और उसका चेहरा मेरे लिए अनजान होता है तो मैं निराश होकर फिर से चलने लगता हूँ।
मै बावरा-सा सड़कों पर बेमकसद टहलता रहता हूँ जब थक-हार जाता हूँ तो वापस लौट पड़ता हूँ ये जानते हुए कि वह कमरा, वह रेलिंग सब मुझे चिढाएंगे,वहाँ अकेलापन और उदासी ही मेरा स्वागत करने के लिए मौजूद होगी। मैं कमरे में आता हूँ और एकबारगी बेतहाशा अकेलेपन से ऊबकर रोने लगता हूँ। मैं जल्द ही अपने आंसू पोंछ लेता हूँ क्योंकि इन आँसुओ को समझने वाला यहां कोई नही है।
कोई मेरे भीतर से चीखता है,चिल्लाता है, रोता है लेकिन मैं उसे बाहर नही आने देता। दीवारों के कान चाहे हों लेकिन मुंह नही होता। मैं किसी से अपनी फीलिंग्स शेयर नही कर पाता।
मैं उससे बात भी तो न कर सका। वह मेरे इतने पास रही और मैं उससे नजरें मिलाने में ही शर्माता रहा। मैं खुद को दोषी ठहरा रहा हूँ। अगर वह नही आई तो?????? मैं खुद को कभी माफ नही कर सकूंगा।
#कोचिंग_में
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“आपका 70% कोर्स complete हो चुका है। कोर्स पर आप सबकी पकड़ ठीक है लेकिन अच्छी रैंक और टॉप का कालेज पाने के लिए और मेहनत करनी होगी.” ओमर सर ने कहा।
मुझे छोड़कर बाकी सभी खुश हैं। ओमर सर द्वारा’कोर्स में पकड़ ठीक होने’ की बात कहना ही हम सब के लिए फक्र की बात है क्योंकि वह आसानी से किसी को शाबाशी नही देते।
“Sir, लगभग कितनी रैंक लाकर हम अच्छा कॉलेज पा सकते हैं?” विनय ने पूछा।
विनय एक साल का रिपीटर और इस क्लास का सबसे डैशिंग लड़का है। क्लास में सबसे ज्यादा वही बोलता है। उसकी बॉडी अच्छी है और पास से देखने पर ऐसा लगता है जैसे वह JEE की नही WWE की तैयारी कर रहा हो। कुछ दोस्तों ने मुझे बताया है कि वह JEE में ध्यान देने की जगह 6 पैक एब्स बनाने की जुगत में लगा रहता है।विनय की मुझसे दोस्ती हो गयी है।
“2000 से नीचे हर हाल में रहनी चाहिए” ओमर सर ने कहा।
यह सच है कि पिछले कुछ दिनों से मेरी पढ़ाई ठीक से नही चल रही और कोर्स पर मेरी पकड़ कम हुई है।यहाँ मेरे अलावा कोई नहीं जानता कि ऐसा क्यों हुआ। विनय मेरा अच्छा दोस्त जरूर है लेकिन मेरी और उसकी बातचीत पढ़ाई तक ही सीमित रहती है।
मेरे दोस्तों ने तय किया है कि एग्जाम आने और हमारा साथ छूटने से पहले एक फेयरवेल पार्टी होनी चाहिये।यहां मेरे अलावा सभी के अपने मकान हैं इसलिए तय हुआ कि पार्टी मेरे रूम में होगी।उन्होंने sunday को पार्टी रखने को कहा लेकिन मैंने मना कर दिया। sunday को शर्मा अंकल घर पर ही रहते हैं। उनके रहते पार्टी करना सम्भव नहीं है।मैंने सुझाव दिया कि किसी दिन कोचिंग के बाद ही रख लेते हैं, सब मान गए।
#उसका_लौट_आना
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वह आज शाम मुझे अपनी छत पर दिखी है। करीब 20 दिनों बाद उसे देखना मेरी अनगिनत शिराओं में रक्तप्रवाह फिर से Normal कर गया है।
हां!!!अब मैं फिर से खुश रहने लगा हूँ।
#गंगामेला_और_उसका_मुस्कुराना
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आज गंगा मेला है।कानपुर के लिए आज का दिन विशेष महत्व रखता है। आंटीजी ने मुझे बताया है कि 1942 से हर साल इसका आयोजन होता है। तानाशाह अंग्रेजों द्वारा होली के दिन हटिया क्षेत्र के कुछ युवाओं को तिरंगा फहराने की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया था..जिसका जनता ने भारी विरोध किया ।
दबाव में आकर गोरों ने गंगा मेला के दिन गिरफ्तार किए गए लोगों को छोड़ दिया था जिसका उत्सव हटिया सहित पूरे कानपुर में लोगों ने जमकर मनाया। तब से यह परंपरा चली आ रही है।हटिया क्षेत्र से हर वर्ष रंग का ठेला निकलता है। कनपुरिये इस दिन जमकर “रंग बाजी” करते हैं।
आज कोचिंग भी है इसलिए मैं पुराने कपड़े पहनकर और बुक्स को पॉलीथिन में लेकर निकल आया हूँ। मैं कोचिंग तो सही सलामत पहुंच गया लेकिन लौटते वक्त रंग/अबीर से भरी हुई थैली मेरे सर पर आकर गिरी।मैं भीग चुका हूं। मैंने बगल के मकान की छत पर देखा,वहां दो मोटे बच्चे और एक छोटी बच्ची मुझे देखकर खिलखिलाकर हंस रहे हैं। जाहिर है उन्होंने ही फेंका है। मैं मुस्कुराते हुए रूम पर आ गया।
मैंने आते ही रूम का गेट बंद कर लिया है। अब मैं दिनभर यहां से नही निकलने वाला। मैंने भीगी हुई शर्ट बदली और रेलिंग पर खड़ा होकर बाहर का नजारा देख रहा हूँ। गली के छोटे बच्चे हर आने-जाने वालों पर रंग/अबीर/पानी खूब उड़ेल रहे हैं।जब राहगीर परेशान होकर झल्लाते हैं तो बच्चों को और मजा आता है।
शाम के करीब 4 बजे हैं मैं रूम में बैठा पढ़ रहा हूँ। निशा अपनी छत पर आई है।मैं किताब लेकर रेलिंग पर खड़ा हो गया हूँ। किताब तो हाथ में है लेकिन मन उसी छत पर लगा हुआ है।जब तक वह सामने है पढ़ना असम्भव है। मैं चुपके से उसे निहार लेता हूँ। वह अपनी छत पर खड़ी मेरी तरफ देखते हुए हौले-हौले मुस्कुरा रही है। मुझसे वह आज मुस्कुरा क्यों रही है????क्या पता???
मैं भी मुस्कुरा दिया।
अभी मैं उसकी मुस्कुराहट का विश्लेषण कर ही रहा था कि अचानक किसी ने गेट पर दस्तक दी।
“Bhai… दरवाजा खोलो!!!” कोई अपरिचित आवाज आई।
“कौन??”
“हम जेट किंग से हैं और अपने इंस्टिट्यूट के बारे में कुछ बात करना चाहते हैं। “वही आवाज आई।
मैं गेट खोलने को बढ़ ही रहा था कि अचानक निशा की आवाज आई….
“गेट मत खोलना…रंग लगाने आये हैं।”
वह अपनी छत से उन लोगों को मेरे मकान में घुसते देख रही थी । ओह!!!तो इसीलिए मुस्कुराया जा रहा था…और मैं पागल न जाने क्या-क्या सोच रहा था।
फिर मैंने उन लोगों को कोई रेस्पॉन्स नही दिया।उन्होंने दो बार दरवाजा खटखटाया उसके बाद आवाजें आना बंद हो गईं।करीब 10 मिनट बाद मैंने उन्हें मकान से बाहर जाते हुए देखा। वह सब इतना रंगे हुए हैं कि पहचानना मुश्किल है। मैंने देखा उनके पास रंग से भरी हुई बाल्टी भी है। उस बाल्टी का प्रयोग मुझ पर ही किया जाना था।
अब निशा से मुस्कुराने की बारी मेरी है।मैं मुस्कुराया। मेरा रोम-रोम उसकी चाह में डूबा जा रहा है….
तेरा दूर तक फैला कुहासा देखना,
और रंगीन वादियां देखना।
तुम्हारी नजरों में मौसम गुलाबी रहा होगा.
तुम्हे धूप मुस्कुराती लगी होगी,
फूलों की खुशबू नशीली रही होगी
तुम्हारे लिए..
तुम्हे लगी होंगी वादियां हसीन,
पर मैं तो तुममे और तुम्हारी जुल्फों में उलझ गया हूँ..
तुम्हारी नशीली आंखों में,
तुम्हारी गुलाबी मुस्कान में..
वादियों का तो पता नही ,
पर
हाँ!!!तुम वाकई खूबसूरत हो।।
#Continued……
लेखक : भूपेंद्र सिंह चौहान