Romantic Ghazal | Ghazal -वो गली में ही जो लड़की ख़ूबसूरत है बहुत
वो गली में ही जो लड़की ख़ूबसूरत है बहुत
( Wo Gali Mein Hi Jo Ladki Khoobsurat Hai Bahut )
वो गली में ही जो लड़की ख़ूबसूरत है बहुत
हो गयी उससे मुझे आज़म मुहब्बत है बहुत
फ़ूल देता हूँ मुहब्बत का उसे जब भी मैं तो
देखता हर बात में मुझको नज़ाकत है बहुत
चाहता हूँ इसलिए वो सस्ता हो आटा सब्जी
रोठी जीने के लिए लोगों ज़रूरत है बहुत
सच नहीं है अब किसी भी ज़बां पे ही मगर
देखिए भी हो रही गंदी सियासत है बहुत
भूल गये है लोग उल्फ़त की ज़ुबानी अब करनी
हो रही अब रोज़ लोगों में अदावत है बहुत
क्या किसी से वो निभायेगा वफ़ा से दोस्ती
वो बदले हर रोज़ अपनी देखो फ़ितरत है बहुत
इसलिए कर मत घमंड ख़ुद पे मगर इतना देखो
मुल्क में वरना बदलती ये रियासत है बहुत