आओ चले योग की ओर

योग से आएगी- विश्व शांति

आज परिवार समाज के साथ ही संपूर्ण राष्ट्र विभिन्न प्रकार के लड़ाई झगड़ों में व्यस्त है। इस हिंसा के जड़ को आखिर कैसे खत्म किया जा सके? ऐसी स्थिति में है योग एक अमूल्य हथियार के रूप में संपूर्ण मानवता के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है।

देखा गया है कि जो व्यक्ति आंतरिक रूप से परेशान होता है वह बाहर भी हिंसक व्यवहार करता है ।लड़ाई झगड़े दंगे फसाद वही व्यक्ति करते हैं जिनका हृदय अनेकानेक पीड़ा उनसे गुजरता है।

जब व्यक्ति योग ध्यान का अभ्यास निरंतर करता है तो धीरे-धीरे उसका मन शांत होने लगता है जैसे जैसे उसका मन शांत होता है वह प्रेम से भर जाता है। वह सबके प्रति प्रेम का बर्ताव करता है।

योग में शशांक आसन ,साष्टांग प्रणाम ,भ्रामरी प्राणायाम ,ओंकार ध्वनि के साथ है ध्यान का अभ्यास किया जाए तो यह निश्चित है कि हम एक अहिंसक समाज की स्थापना कर सकते हैं। संपूर्ण विश्व में शांति केवल योग के माध्यम से आ सकती है।

संपूर्ण विश्व की मानवता के लिए योग भारत का दिया हुआ दिव्य वरदान है । भारतवर्ष के लिए यह गर्व का विषय है कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की मान्यता संयुक्त राष्ट्र ने प्रदान की जिसे हम 21 जून 2015 से मना रहे हैं ।

जिसमें संयुक्त राष्ट्र के 195 देशों में से 192 देशों ने मान लिया। योग विद्या प्राचीन काल से चली आ रही है हमारे वैदिक गुरुकुल में योग को अनिवार्य रूप से सिखाया जाता रहा है। अनौपचारिक रूप से खेलकूद की पुस्तकों में भी योगासन व प्राणायाम एवं अन्य संस्थाओं में सिखाया जाता है ।

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के अथक प्रयासों का परिणाम है कि आज योग यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त कर चुका है। इस वर्ष विशेष संयोग है कि यूजीसी नेट योग की परीक्षा भी 21 जून को ही संपन्न हो रही हैं।
वर्तमान समय में एलोपैथ दवाओं का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।

यह दवाएं जहां एक बीमारी ठीक करती है तो वहीं दूसरी बीमारी पैदा भी कर देती हैं। नियमित रूप से यदि योग को जीवन का हिस्सा बना ले तो मधुमेह ,ह्रदय रोग ,गैस ,कब्ज ,एसिडिटी ,घुटने का दर्द ,अपच इतिहास बीमारियों से वह मुक्त हो सकता है। ऐसी बीमारियों का कारण व्यक्ति की प्राणशक्ति की कमी से हो रही हैं।

जैसे-जैसे प्राण शक्ति बढ़ती है बीमारियां सहज में दूर होने लगती हैं। आइए 21 जून योग दिवस के मौके पर हम संकल्प पर ले के नियमित रूप से हम योगाभ्यास करेंगे और स्वयं स्वस्थ होंगे अपने परिवार समाज एवं राष्ट्र को भी स्वस्थ बनाएंगे।

 

योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )

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