एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा..

एक लड़की को देखा तो ..(दूसरा भाग ) | Kahani

एक लड़की को देखा तो… दूसरा भाग

(Ek ladki ko dekha to : Prem kahani )

 

1 Jan 2014
यह नए वर्ष का पहला दिन था।कड़ाके की ठंड थी।यद्यपि धुंध और कोहरा सुबह से ही था,जिससे कुछ भी देखना मुश्किल हो रहा था लेकिन कल रात से ही मेरे जीवन मे उजाला साफ दिखाई देने लगा था।
प्रिया से की गई बात मेरे जीवन की कैसी भी धुंध को साफ करने के लिए पर्याप्त थी।मैं सुबह से ही खुश था।मैंने जगते ही अपने दोस्तों को फोन किया।
वह सब हैंगओवर के शिकार थे।मैंने घर फोन करके मां और पापा को wish किया। मैंने कुछ करीबी रिश्तेदारों के साथ साथ उन no. पर भी wish किया जिन्हें मैं जानता ही नही था।
लोग कहते हैं कि नए वर्ष के पहले दिन जो आप करते हैं वही पूरे साल करते हैं, मैं ऐसी किसी मान्यता को मानता तो नही हूँ लेकिन पता नही क्यों मुझे विचार आया कि मैं नहाने के बाद प्रिया से बात करूंगा।
मैंने सुबह 11 बजे उसे फोन किया।
“Hello!!”वही थी।उसकी प्यारी आवाज मेरे कानों में पड़ी।
“Hi!!” मैंने चहकती आवाज के साथ कहा।निश्चित ही आज के जितना खुश मैं कभी नही था।
“क्या कर रहे हो?” उसने पूछा।
“आपको याद” मैंने रोमांटिक होते हुए कहा।
“Oh ऐसी बात है!!”वह हंसी।उसकी खनकती आवाज का मैं दीवाना हुआ जा रहा था।
“हाँ!” मैंने कहा।मेरा मन बल्लियों उछल रहा था।
“मैं भी तुमको ही miss कर रही थी” उसने कहा।
“सच मे!!”मैंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा।
“हाँ!!”उसने कहा।
“तो फिर….?”मैंने प्रश्न अधूरा छोड़ते हुए कहा।
“तो फिर क्या???”उसने पूछा।
“Oh जाने दो…..”मैंने टालना चाहा।
“नहीं, बताओ मुझे,तुम क्या कहना चाहते थे?”उसने जिद की।
“शादी करोगी मुझसे!!!!!”मैंने कहा।हालांकि मन ही मन मैंने खुद को झिड़का कि मैंने ऐसा क्यों कहा।
“हाँ”उसने साफ कहा।
मुझको ऐसा लगा जैसे सारे जमाने की खुशियां मुझे एक साथ मिल गयी हों।वैसे मैंने इसे बहुत serious लहज़े में नही कहा था लेकिन उसका यूँ बेझिझक स्वीकार करना मुझको उसकी चाह में डुबो गया।हाँ!!मैं उसे चाहने लगा था।
हमने बहुत सारी बातें की।हमने एक-दूसरे से ये वादा भी किया कि हम दोनों में से कोई भी हमारे बारे में किसी को कुछ नहीं बताएगा।
अब हम लगभग रोज ही फोन पर एक-दूसरे से बातें करते थे।वो मेरी आदत बन चुकी थी।एक दिन भी बात न करूं तो सब सूना- सूना लगता था। उसकी भी हालत ऐसी ही थी।
वैसे जब मैं गांव जाता तो हम दोनों एक-दूसरे को छुप-छुप कर ही देखते थे लेकिन फोन पर हमारा बतियाना जारी रहता था।
अब मेरी जिंदगी में बहार लौट आई थी।मैं खुशी-खुशी कम्पनी जाता और सबसे प्यार से बातें करता।मेरे सहकर्मी भी मेरे इस बदले व्यवहार को notice करते।दोस्तों को हमारे बारे में पता चल चुका था और इसके लिए उन्होंने मुझसे दावत भी ली थी।
एक शाम मैं कम्पनी से रूम लौटा।मैंने प्रिया को फोन किया।
“Hello!!” उधर से प्रिया की आवाज आई।मुझे लगा जैसे वह मेरे ही फोन के इंतजार में थी।
“Hi!!”मैंने कहा।
“क्या कर रही हो?”मैंने पूछा।
“पढ़ाई!! एग्जाम के कुछ ही दिन बचे हैं.” उसने थोड़ा चिंतित होते हुए कहा।
“Oh, अब याद आयी पढ़ाई की!!”मैंने उसे छेड़ते हुए कहा।
“पढ़ती तो हूँ रोज ही!!”उसने नाराज होते हुए कहा।
“अच्छा है. कभी हमको भी  याद कर लिया करो.”मैंने कहा।मैं नही चाहता था कि हमारी बातें बोरिंग स्टडी के आसपास घूमती रहें।
“तुम एग्जाम में नही आने वाले,जो आएगा वही याद करना पड़ेगा।”उसने थोड़ा हंसते हुए कहा।
“ओहो!!ऐसी बात!!”मैंने कहा
“Yupp!!”उसने शरारती अंदाज में कहा।
  कुछ महीने बाद
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            गांव में
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कल ही गांव आया था।गर्मियां अपने चरम पर थीं।गांवों में गर्मियों की दोपहर बहुत बोरिंग होती है।गर्मियों में यहां सिर्फ सुबह और शाम ही अच्छा लगता है।
प्रिया का result आ गया था।वह 1st आयी थी। पढ़ने में तो ठीक थी वह लेकिन”उदार”स्वकेंद्र प्रणाली ने उसको अच्छे अंक लाने में सहायता की थी।
मेरी हर सुबह की शुरुआत उसे ही देखने से होती थी।मैं दो महीनों के लिए गांव आया था।मैंने शायद आपको बताया नही मैं पढ़ने में ठीक था इसलिए बेंगलुरु में job के अलावा मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करता था।
साथ ही गांव में दोस्तों के साथ दौड़ भी लगाता था।मेरा RRB के WRITTEN EXAM के लिए CALL-LETTER आ गया था इसलिए मैं गांव आ गया था ताकि पढ़ाई पर पूरा फोकस कर सकूं।
मैं हर रोज प्रिया से बातें करता था,फोन पर भी और आमने-सामने भी।प्रिया मेरे पड़ोस की सबसे सुंदर लड़की थी।मेरे पड़ोस के ही कुछ लड़कों ने  हमे बेतकल्लुफी से बातें करते हुए देख लिया।
उनसे हमारी खुशी बर्दाश्त नही हो सकी (मैं कभी भी नही समझ पाया कि जब आप दुखी होते हो तो कई लोग आपको दिलासा देंगे,साथ रहेंगे यहां तक कि हर संभव मदद भी करेंगे। लेकिन जब आप खुश होते हो ,मुस्कुराते हुए चलते हो तो न जाने क्यों सारा जमाना जल-भुन जाता है.)
उसी बीच एक शाम हम फोन पर आपस मे बातें कर रहे थे।
“कभी मिल भी जाया करो,इतने पास रहते हो फिर भी…”उसने कहा।
“कहो तो अभी आ जाऊं!!” मैंने उसे छेड़ते हुए कहा।
“आ जाओ”उसने तुरंत कहा।मुझे मानना पड़ेगा वह मेरे से ज्यादा हिम्मतवाली थी।
“चाची जान गईं तो लेने के देने पड़……….”
“किसको बुला रही थी????फोन दिखाओ मुझे..”
मैं अपनी बात पूरी कह भी नही पाया था कि मुझे फोन पर एक तेज कर्कश ध्वनि सुनाई दी।यह चाची थीं।उन्होंने हमें फोन पर बातें करते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया था।निश्चित ही वो मेरा no. जानती थीं।
थोड़ी सी सरसराहट हुई और फोन कट गया।
मेरा मन आशंका से भर उठा। यद्यपि चाची का व्यवहार मेरे प्रति ठीक था लेकिन क्या होगा अगर वो जान गईं कि मैं उनकी भतीजी के साथ अंतरंग बातचीत में लिप्त था।
मुझे समझ नही आया कि क्या करूँ।
एक विचार आया कि मैं चाची के पास जाऊं और सब कुछ सच-सच बता दूं।मैं कुछ भी तय नही कर पा रहा था।मैं इन्ही विचारों में गुम था अचानक मेरे फ़ोन की घंटी बजी।यह प्रिया का no. था। मैं समझ गया कि सब कुछ ठीक नही है।
“Hello!!”मैंने जितना सम्भव हो उतना धीमे कहा।
“राजू!यहां घर मे आओ।”चाची ने कहा और फोन रख दिया।
मैं डर गया।मुझे लगा सब गड़बड़ हो गयी।मैंने सोचा जल्द ही ये बात मेरी माँ और पापा तक पहुंच जाएगी।सबसे अधिक फिक्र मुझे प्रिया की हो रही थी। मैंने तय किया कि मैं हालात का मुकाबला करूँगा,मैं उठ खड़ा हुआ।
मैं चाची के घर गया और उनका दरवाजा खटखटाया।मेरे चचेरे भाई ने दरवाजा खोला मैं उससे नजरें मिलाये बगैर अंदर चला गया। अंदर कमरे में चाची और प्रिया बैठी थीं।वहां और कोई नही था।
चाची ने मुझे देखा और पास में बैठने का इशारा किया।मैं अपराध-भाव लिए उनसे थोड़ा दूर बैठ गया।प्रिया ने कोई हरकत नही की और जमीन को देखती रही। चाची खिसक के मेरे पास आ गईं मैं नीचे देखता रहा ।
“तुम्ही थे फोन में?”उन्होंने मुझसे पूछा ।
मैंने कोई जवाब नही दिया और सिर झुकाए रहा।
“चाहते हो बिट्टू को”उन्होंने फिर मुझसे पूछा। वो प्रिया को बिट्टू कहकर ही बुलाती थीं।
मैंने कुछ नही कहा। उन्होंने मेरे बाल सहलाये।पता नहीं क्यों मेरी आँखें भर आईं।।
“बिट्टू तुम्हे पसंद है न?”उन्होंने पूछा।
“हाँ”मैंने बिना उनकी तरफ देखते हुए कहा।ये उस कमरे में बोला गया  आज मेरा पहला शब्द था।
उन्होंने मेरे सिर पर एक चपत लगाई।
“तो चोरी-छुपे फोन पर बातें क्यों कर रहे थे यहीं आकर बातें कर लिया करो।”उन्होंने मुझसे प्यार से कहा।
मैं तो आशंकाओं से भरा हुआ था मैंने सोचा नही था कि चाची आज की शाम इतना उदार व्यवहार मुझसे करेंगी।यह सोने पे सुहागा था।मुझे लगा जैसे मन की मुराद पूरी हो गयी हो।
मैंने चाची की तरफ देखा।उन्होंने मेरे सर पर हाथ फेरा।प्रिया ने मेरी ओर देखा।हमारी नजरें मिलीं।अब कुछ कहने की जरूरत नही थी नजरों ने सब कुछ कह दिया था।
          कुछ महीने बाद
        ★★★★★★★
              लोग जलते हैं
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अब मैं बिना किसी रोक-टोक के प्रिया से बातें करता था।चाची मुझे अपने घर बुला लेतीं और हम  लोग ढेर सारी बातें करते।वो हमारी शादी के लिए राजी हो गईं। अभी तक हमारे बारे में मेरी मां को पता नही था।
अब हम खुल्लमखुल्ला एक दूसरे से बतियाते थे। हमारी खुशी मोहल्ले के कुछ लोगों द्वारा देखी नही गयी। उन्होंने मेरे चाचा के लड़के को हमारे प्रति भड़का दिया और किसी ने प्रिया के फोन में चुपके से call-recording एक्टिवेट कर दिया। हमारी बातें record हो गईं।हम दोनों को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था,हम लोग पहले जैसे ही बातें करते रहे।
         कुछ समय बाद
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अब मैं बेंगलुरु आ गया था।इस बीच मौका पाकर लोगों ने हमारी recorded बातचीत को मेरी मां को सुनाया।उनसे कहा गया कि ये लड़की आप के लड़के को बर्बाद किये दे रही है।
आपका लड़का पढ़ने में तेज है और जल्दी ही सरकारी नौकरी लग जायेगी लेकिन ये लड़की आपके लड़के को फंसाये हुए है, जबकि ऐसा कुछ भी नही था।
मां तो उससे शुरू से ही रूखा व्यवहार करती थीं।मां ने उनकी बातों पर विश्वास कर लिया और प्रिया को बहुत डांटा-फटकारा।
आखिरकार वह गांव छोड़कर चली गयी।
मुझे ये बातें बहुत बाद में पता चलीं।मुझे बेहद दुख हुआ।मैंने प्रिया से बात करने की कोशिश की लेकिन no. switched-off बताता रहा।मैंने लगातार 15 दिनों तक कोशिश की लेकिन कोई रेस्पॉन्स नही आया।
अब मेरा मन न तो कम्पनी में लगता न ही पढ़ाई में।मैं गुमसुम रहने लगा।किसी से भी ठीक से बात नही करता,यहां तक कि दोस्तों से भी।
एक दिन मैंने चाची को फोन किया।खुशनसीबी रही कि उनके पास प्रिया के घर का दूसरा no. था।उन्होंने वो no. मुझे दे दिया।
मैंने तुरंत वह no. डायल किया किसी वृद्ध पुरूष ने फोन receive किया।मैंने बिना कुछ कहे फोन काट दिया।
मैंने उसी दिन शाम को फिर से वही no. डायल किया इस बार भाग्य ने मेरा साथ दिया।प्रिया ने ही call receive की।
“Hello”उसने अपरिचित लहजे में कहा(निश्चित ही यह सिर्फ दिखाने के लिए था उसको मेरा no. रटा हुआ था)।
“Priya!!”मैंने कहा।मेरा गला रुंध गया।
उसने जवाब में कुछ नही कहा।फोन से सिसकियों की आवाज आती रही।
“Please!!मेरी बात सुनो priya.. सब ठीक हो जाएगा।”मैंने कहा।
“आपकी माँ ने मेरे साथ…………..”वह रोने लगी।
हमेशा मुस्कुराने वाली लड़की को रोते हुए सुनना असहनीय था।
“सब कुछ मैं ठीक करूँगा
 priya… please रोओ मत” मैंने दिलासा देते हुए कहा।
वह रोती रही।
“Priya मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ”मैंने कहा।
“Please, रहने दो माँ को अगर पता चल गया तो…..”
“नहीं, तुम बताओ मैं तुमसे कहाँ आकर मिलूं!!!”मैंने ठोस लहजे में कहा।
“इलाहाबाद(अब प्रयागराज)में हूँ।”उसने कहा और अपना पता दे दिया।उसका गांव इलाहाबाद के पास ही था।
“ठीक है, मैं जल्दी ही तुमको call करूँगा”मैंने कहा।
काफी समय बाद उसकी आवाज को सुनना मुझे सुकून पहुंचा रहा था।
मैंने अगले दिन बेंगलुरु से इलाहाबाद के लिए जाने वाली ट्रेन की जानकारी ली।मुझे 7 ट्रेनों की जानकारी मिली जिनमें मैंने 2 को select कर लिया।
एक यशवंतपुर-पाटलीपुत्र सुपरफास्ट थी जो सिर्फ सोमवार को चलती थी जबकि दूसरी बागमती EXP थी जो हर शनिवार को चलती थी।मैंने बागमती EXP को चुना ताकि जॉब पर भी असर न पड़े।
यह शनिवार सुबह 10.05 पर चलकर रविवार दोपहर 3.30pm पर इलाहाबाद जंक्शन पहुंचती थी।मैंने शनिवार के लिए टिकट आरक्षित करवा लिया। इसका किराया करीब 800₹ था।
अब हमारे बीच फिर से सब कुछ सामान्य होने लगा था।मैं अक्सर बेंगलुरु से इलाहाबाद priya से मिलने जाता।ये करीब 41+41 घंटे की यात्रा थी।यह निश्चित ही थकाऊ थी लेकिन मुझे फर्क नही पड़ता था।हमारा मिलना जारी रहा।
                     2016
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समय बीत रहा था।अब हम अपने रिश्ते के प्रति संजीदा थे।मैं शादी की बातें तो उससे करता था लेकिन अभी तक उसे propose नही किया था।
मैंने तय किया कि जल्दी ही उसे propose करूँगा। उसका भी 12th था और मुझे भी समय कम मिल रहा था इसलिए यह मुश्किल लग रहा था।
         कुछ समय बाद
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अभी मैं गांव में था।मुझे पता लगा कि वह और उसकी फैमिली एक शादी समारोह में पास ही के गांव आने वाले हैं।मैंने तय किया कि मैं भी वहां जाऊंगा।
उस रात मैं वहाँ पहुंच गया।मैंने उसे खोजना शुरू किया लेकिन वह मुझको कहीं नही दिख रही थी।अचानक अपने कंधे पर मैंने किसी का हाथ महसूस किया।मैंने पीछे मुड़कर देखा।मेरी ही उम्र का एक लड़का मेरे सामने खड़ा था।वह काफी देर से मुझको परेशान इधर-उधर घूमता देख रहा था।वह priya का कजिन था।उसने मेरे बारे में वहां लोगों से पता कर लिया था।बड़ी बात ये थी कि उसे मेरे और priya के बीच रिश्ते की
बात पता थी।उसने मेरे साथ दोस्ताना रवैया अपनाया और मुझसे काफी देर तक बातें कीं।उसने मेरा no. भी लिया।
अब हम अक्सर एक-दूसरे से बातें करते थे।
एक शाम उसका फोन मेरे पास आया।
“और bhai!!क्या हो रहा?उसने पूछा।
“Room पर हूँ भाई”मैंने कहा।
“Bhai एक बात कहनी है तुमसे”उसने कहा।
“क्या बताओ !! मैंने कहा।मैं सीधा होकर बैठ गया।
“एक लड़की देखी है तुम्हारे लिए!!शादी करोगे उससे?उसने पूछा।
“नही,मैं आपकी पसंद से शादी नहीं कर सकता”मैंने स्पष्ट कहा।priya को छोड़कर किसी और से शादी करने का ख्याल ही मुझे परेशान कर देता था।
“Bhai, लड़की line पर है ,लो उससे बात कर लो।”उसने कहा।
“नहीं!!मैं ऐसे शादी नही कर सकता।”मैंने कहा।
“Oye!!जान दे दूंगी अगर मना किया तो…” एक जानी पहचानी आवाज ने कहा।
ओह, यह तो priya थी!!!! इसका मतलब मैं इतनी देर से “मामू”बनाया जा रहा था!!!!
वैसे priya का मेरे लिए जान देने की बात सुनकर मैं इतना खुश हुआ कि शब्दों में नही बता सकता।
              10 मई 2017
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          PROPOSE DAY
      ???
आज बुधवार था।मैंने 2 दिन पहले ही तय किया था कि priya से मिलने इलाहाबाद जाऊंगा।मैंने उसे propose करने का फैसला किया था।
मैं ट्रेन में था और सब कुछ अच्छा लग रहा था।जब आप अपने प्यार से मिलने जा रहे होते हैं तब हर चीज के प्रति अनुग्रह भाव आ जाता है।
मैं मन ही मन सबको Thanks बोल रहा था..उस डिब्बे को,ट्रेन को,कुली,T C, खोमचे वाले,फेरी वाले यहां तक कि तेज गति से भागते पेड़ों को भी। अपनी प्रेमिका से मिलने जाना एक अलग ही अहसास है।
मैं  यशवंतपुर- पाटलीपुत्र सुपरफास्ट से आया था। मैं आधी रात इलाहाबाद पहुंचा और स्टेशन पर ही रात गुजारी। बुधवार को हमारा मिलना तय था।
वह अब ग्रेजुएशन में है और उसने अपने ही कॉलेज के पार्क में मिलने के लिए कहा था।मैंने उसे बताया नही था कि मैं उसे propose करने आ रहा हूँ।
मैं पूरी तैयारी कर के आया था।एक ताजा गुलाब का फूल,एक मोटा- सा टेडी बियर और एक खास गिफ्ट मैंने खरीदकर रख लिए थे।
मैं दिन में करीब 11 बजे उसके बताये हुए स्थान पर पहुंचा ।वहां ज्यादा लोग नही थे क्योंकि इन दिनों कॉलेज में छुट्टियां चल रही थीं।
वह computer class का बहाना बना कर आयी थी। मुझे सामने लड़कियों का एक झुंड दिखा जो पार्क की हरी घास पर गोलाकार पालथी मारे बैठी थीं।मैं निश्चित नही था कि Priya यहां है या नहीं।
जिन लड़कियों के चेहरे मुझे दिख रहे थे वह  मेरे लिए अनजाने थे।पहले तो मैं रुक गया,मैंने सोचा वो शायद अभी न आई हो लेकिन फिर मैंने वहां जाने का फैसला किया।
जैसे ही मैं  नजदीक पहुंचा अन्य चेहरों के अलावा मुझे उस चेहरे ने भी पलटकर देखा जिसके लिए मैं करीब 2300 km की दूरी तय कर के यहां आया था।
मुझे देखते ही वह तुरंत खड़ी हो गई।मैं हल्का मुस्कुराया।वह मुझसे लिपट गयी।बाकी लड़कियां जो अभी तक उलझन में थीं अचानक सब समझ गयीं और कुछ ही सेकेंड में वहां से दूर चली गईं।
मैंने अपने बैग से गुलाब का फूल निकालकर उसे दिया और I LOVE YOU कहा।वह शर्मा गयी।उसने भी I LOVE YOU TOO कहा।
जब मैं उसे फूल दे रहा था तब मेरा हाथ पहली बार उसके हाथ से छुआ।यह हमारा पहला स्पर्श था।मैंने उसे टेडी बियर और वो खास गिफ्ट भी दिया जो मैं उसके लिए लाया था।बाकी लड़कियां ईर्ष्यालु नजरों से हमे घूर रही थीं।
हमने काफी समय साथ मे बिताया।अब वह जब भी मुझसे मिलती है तुरंत गले लग जाती है, सामने चाहे कोई भी हो।
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     मेरी और उस घुंघराले बालों वाले लड़के की बातचीत
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“अब आगे का क्या इरादा है??” मेरा इशारा उन दोनों के रिश्तों के भविष्य की ओर था।
“लाइफ पार्टनर बनाएंगे” उसने पूरे विश्वास के साथ कहा।
“ये तो बहुत अच्छी बात है।मुझे भी तुम दोनों के मिलने पर खुशी होगी.” मैंने टाइप किया
“आपकी और उसकी फैमिली इस रिश्ते के लिए राजी है?” मेरे मन मे प्रश्न उठा।
“शायद नही!!”उसने लिखा।
“Oh…फिर कैसे बनेगा!!!”मैं भी चिंतित हुआ।
“सब मान जाएंगे”उसने पूरे आत्मविश्वास के साथ लिखा।
“Bhai!! मैं भी ऊपरवाले से दुआ करूँगा कि आप अपना प्यार पा लो”मैंने लिखा।
“Thanks bhai!!”उसने जवाब दिया।
“और हां!!एक बात और….”मैंने लिखा।
“क्या!!”उसने पूछा।
“सबसे महत्वपूर्ण है जीवन और यह सिर्फ आपका नही है इसमें कई लोगों का योगदान है जिसमें आपके माता-पिता और बाकी परिवार तथा दोस्त आते हैं।इसलिए ऐसा कोई कदम मत उठाना जिससे आपके चाहने वालों को शर्मिंदगी का सामना करना पड़े।” मैंने लिखा।
“नही भाई!!मैं ऐसा कुछ नही करूँगा।सबको मनाऊंगा और सहमति होने पर ही इस रिश्ते में आगे बढूंगा।” उसने लिखा।
“तो फिर वादा रहा!!”मैंने पूछा।
“हाँ  भाई” उसने कहा।
“बहुत अच्छे”मैंने लिखा।
“Ok bhai…फोन आ रहा उसका,मैं बाद में बात करता हूँ।”
उसने लिखने के बाद दो इमोजी चिपका दीं जो मन्द-मन्द मुस्कुरा रही थीं।
Ok.. best of luck!!मैंने लिखा।
जवाब में उसने कुछ नही लिखा।जाहिर है वो तो व्यस्त हो गया… अब मैं भी जा रहा हूँ किसी और  की जिंदगी के पन्ने पलटने……….
     TA——TA
लेखक : भूपेंद्र सिंह चौहान

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