घुंघराले बालों वाले शर्मीले लड़के की प्रेमकहानी, उसी की जुबानी---
घुंघराले बालों वाले शर्मीले लड़के की प्रेमकहानी, उसी की जुबानी---

एक लड़की को देखा तो…

(Ek ladki ko dekha to : Prem kahani )

 

13 जुलाई 2013
(जब मैंने पहली बार उसे देखा)
मैं अपने घर पर था।मैं काफी समय बाद बेंगलुरु से घर आया था ।मैंने आपको बताया या नही मैं बेंगलुरु में जॉब करता हूँ और एक सॉफ्टवेयर कम्पनी(Virgosys software private ltd.)  में प्रोजेक्ट इंचार्ज   के पद पर तैनात हूँ।
हल्की बारिश हो रही थी मैं बालकनी में आ गया।घर पर मेरा फेवरेट सांग कुमार सानू का “तुम्हारी नजरों में हमने देखा….” बज रहा था,जिसे मैं अक्सर सुनता हूँ।
मैं छोटी गोलाकार बूंदों को चुपचाप देख रहा था जो बिना किसी तनाव के आसमान से नीचे आ रही थीं।अचानक मेरी नजर सामने वाले घर(जो मेरी चाची का है) के छज्जे पर पड़ी।
दो सुंदर आंखे मेरी तरफ गौर से देख रही थीं।मेरे भीतर कुछ कौंध सा गया।एक पल को हमारी नजरें टकरायीं।मुझे ऐसा लगा जैसे उस एक पल में हजारों जमाने गुजर गए।उसका गोल चेहरा पहली नजर में ही मेरे दिल मे उतर गया।
वह सुंदर थी।उसकी लंबाई ज्यादा नही थी फिर भी उसकी हल्की काली आंखें और गोल चेहरा किसी भी 6 फुट के युवा को “Disturb” करने के लिए पर्याप्त थीं।
मैंने तुरंत नजरें हटा लीं इससे अधिक मैं उसकी  आँखों का सामना नही कर सकता था।बारिश जारी थी।
“फिर आगे क्या हुआ?” मैंने चैट करते हुए पूछा।मुझे भी अब उसकी कहानी में रुचि होने लगी थी।
“हमने दो महीनों तक एक दूसरे से कोई बात नही की,बस चुपचाप एक दूसरे को देखते रहे।जब भी वह मुझे देखती,मुस्कुरा देती थी।
मैं आपको क्या बताऊँ उसकी हल्की मुस्कराहट मेरे दिल मे गहरे तक सुकून पैदा कर देती। मैं भी अब उसको देखकर हल्का मुस्कुराने लगा था।मैंने गौर किया कि वह मुझसे बात करना चाहती है लेकिन अपनी तरफ से कोई पहल भी नही करना चाहती।”उसने टाइप किया।
“लड़कियां कभी पहल नही करतीं,लड़कों को ही अगला कदम बढ़ाना होता है।”मैंने बिना रुके कहा।
“हाँ शायद!!लेकिन मैं भी झिझक रहा था,उसको सामने देखकर मेरी बोलती बंद हो जाती है।”उसने थोड़ा रुककर कहा।
“फिर तुम्हारी बातचीत कैसे शुरू हुई?”मैंने थोड़ा आश्चर्यचकित होते हुए कहा।
जवाब में उसने दो हंसने वाली इमोजी send कर दीं जिनकी आंखों से दो नीली बूंदे टपक रही थीं।
  बेंगलुरु
जल्दी ही मैं वापस बेंगलुरु चला गया,एक शाम मैं अपने दोस्त कुलदीप के साथ रेस्टोरेंट में था ।यह वीकेंड था और हम दोनों वहां कुछ फुर्सत के पल बिताने आये थे।कुलदीप मेरी ही कम्पनी में जॉब करता था,फिर भी हमारा मिलना नही हो पाता था।
“और भाई अब आगे का क्या प्लान है?”मैंने समोसे में चटनी डालते हुए कहा।
“शादी करेंगे”उसने बिना देर किए कहा।मुँह में समोसा होने की वजह से वह साफ नही बोल पा रहा था।
(ये तिकोने खाद्य पदार्थ भारत मे आपको कहीं भी मिल जाएंगे सम्भवतः इसीलिए इन्हें  भारत मे no.1 फ़ास्ट फ़ूड का तमगा हासिल है।)
“लड़की देखी?”मैंने उससे जानना चाहा।
“घरवालों ने देखी है।”उसने हाथों में पकड़े समोसे की ओर ध्यान देते हुए कहा।मैं निश्चित नही था कि इसका ध्यान खाने पर अधिक है या मेरी बातों पर।
“शादी कब करने का इरादा है?”मैंने पूछा।मेरे मन मे प्रिया की स्पष्ट तस्वीर थी।
“देखो यार!! अभी तो सगाई भी नही हुई!” उसने थोड़ा चिंतित होते हुए कहा।
मैंने कल्पना की कि प्रिया मेरे साथ है और एक खचाखच भरे हॉल में हमारी रिंग सेरेमनी हो रही है।मैं हल्के स्लेटी कलर का सूट पहने हुए हूँ जबकि वह पिंक ड्रेस में परियों जैसी लग रही है।
“और तुम शादी कब कर रहे?”उसने मेरी तरफ देखे बगैर कहा।
“पता नहीं!!”मैंने दिवास्वप्न से बाहर आते हुए कहा।मैं अपने जीवन के सारे महत्वपूर्ण सवालों के जवाब ऐसे ही देता था।
“कोई लड़की तो दिल मे होगी?” इस बार उसने ध्यान से मेरी ओर देखते हुए पूछा।
“हाँ!!” मैंने स्वीकार किया।
“तो फिर क्या,पटाओ उसे,तुमने उससे बात की?” उसने एक साथ कहा।
“नहीं,हिम्मत ही नही हुई।”मैंने सिर झुकाते हुए कहा।ये बड़ी अजीब बात है कि जब आपकी जिंदगी से Related कोई कुछ पूछने लगता है तो आप रक्षात्मक हो जाते हो।
“क्यों?” उसने खीसें निपोरते हुए कहा जैसे कि उसे मेरे बारे में पहले से ही पता हो।
“पता नही यार,उसे देखने के बाद मुझे अजीब सा महसूस होता है।”मैंने कहा।
हम रेस्टोरेंट से बाहर निकल कर सड़क पर आ गए थे।
“कोशिश करो यार,अच्छी लगती है वो तुम्हे?” उसने जानना चाहा।
“हाँ!!”मैंने बिना झिझक स्वीकार किया।
“कौन है वो,तुमने मुझे बताया तक नहीं?उसने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा।
“नही भाई ऐसी बात नही है दरअसल अभी मैंने उसे देखा भर है वो मेरी चाची की भतीजी है जो गर्मियों की छुट्टी में गांव आयी है।”मैंने उसे पूरी बात बता दी।
“यार तो उससे बात करने की कोशिश करो,बात आगे बढ़ाओ”।उसने समझाते हुए कहा।उसका ध्यान अब पूरी तरह से मेरी बातों पर था क्योंकि हाथ मे अब कोई खाद्य पदार्थ नही था।
“मैं करूँगा।”मैंने दृढ़ लहजे में कहा।उससे ज्यादा खुद से।
         2 महीने बाद
मैं गांव आया था।ये बात मुझे पता नही थी कि वह भी यहीं पर है.(वह यहीं पर रहकर पढ़ाई कर रही थी).मैं 4-5 दिन के लिए ही आया था।
खेतों पर कुछ काम था इसलिए मुझे ज्यादा वक्त नही मिला।एक शाम मैं घर पर ही था।घर मे मां के अलावा और कोई नही था। घर की कुंडी बजी।मां किचन में थीं।
मैंने दरवाजा खोला ।मेरे सामने चाची के अलावा वो लड़की भी थी जिसने मेरी रातों की नींद उड़ा दी थी।वह सफेद सलवार सूट पहने थी ऊपर से उसने बन्द गले का काला स्वेटर पहना हुआ था।
उसने शरारत भरी मुस्कान के साथ मुझे देखा मैं भी आहिस्ता से मुस्कुरा दिया(हालत तो ये थी कि खुशी के मारे मेरा कलेजा बाहर निकला जा रहा था).
वो लोग माँ के साथ बैठे।मैंने गौर किया कि मां ने उसकी तरफ ज्यादा ध्यान नही दिया।मां और चाची अपनी घरेलू बातों में व्यस्त हो गईं।चूंकि मेरा मन नही लग रहा था इसलिए मैं बालकनी में आ गया।
मैं आशा कर रहा था कि शायद वो भी यहां आए।थोड़ी देर बाद वह आयी और मेरे बगल में आकर खड़ी हो गयी।सर्दी ज्यादा नही थी लेकिन मुझे लगा जैसे पाला मार गया हो।कोई लड़की मेरे इतने करीब कभी नही आई।
“Hi!!” मैंने खुद को संभालते हुए कहा।अगर सच कहूं तो इसके अलावा मुझे कहने को कुछ सूझा ही नही।
“अब जाकर बोले हो!!”उसने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा।
मुझे समझ नही आया कि क्या कहूँ।
जो लड़की आपको दिल से महसूस हो उससे पहली दफा बात करना बहुत मुश्किल  भरा होता है।
“आप भी तो बोल सकती थीं!!”मैंने हिम्मत दिखाते हुए कहा।
“SORRY!!”उसने बच्चों जैसे कान पकड़ते हुए कहा।
“IT’S OK” मैंने कहा।मेरे पास विकल्प ही क्या था।
लड़कियों के पास ये अधिकार होता है कि वो किसी भी बात पर सिर्फ एक”SORRY” बोल देंगी और लड़के बिना दिमाग लगाए मान जाएंगे।
फिर हमने एक दूसरे के बारे में जानकारी साझा की।मैंने उससे उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा उसने बताया कि वो अभी 10th में है।मैंने उससे उसका नाम भी पूछा।उसका नाम प्रिया सेंगर था जो कि उसकी ही तरह बेहद खूबसूरत था।
          1 महीने बाद
        31 Dec 2013
आज मंगलवार था साथ ही इस साल का अंतिम दिन भी।मैं शाम को अपने दोस्तों के साथ हाल में आई”रामलीला(GKRR)” देखकर लौटे थे।
आज के दिन हम कम्पनी नही गए थे।हमने सारा दिन इसे एन्जॉय करने का निर्णय लिया था।फ़िल्म हम देख चुके थे,अब वोदका पार्टी का नम्बर था।
हालांकि मैं पीता नही लेकिन मेरे बाकी दोस्तों पर इस मामले में यकीन नही किया जा सकता,खासकर new year eve पर।हम हमारे रूम पर थे ।हम 6 लोग थे ।
मेरे और कुलदीप के अलावा संजय,अमन,अभिजीत और महेंद्र।मेरे अलावा बाकी सभी आज की रात वोदका हलक के नीचे उतारकर एन्जॉय करने वाले थे।
हालांकि ऐसा वो हर दिन नही करते थे।मैं उन “बेवड़ों” के बीच अकेला “शाकाहारी”था।हम लोगों ने एक पेटी वोदका खरीदकर रख लिया था साथ मे खाने का सामान और कुछ सिगरेट भी।मेरे हिस्से में ₹650 का खर्च आया था।
मेरे रूम का म्यूजिक सिस्टम बज रहा था जिसमें आशिकी-2 का “तुम ही हो…” play हो रहा था।पता नहीं क्यों ये गाना मुझे प्रिया की याद दिला देता था।
उसका हंसता हुआ गोल चेहरा मेरी आँखों के सामने घूम रहा था।मैं गाने के शब्दों को गौर से सुन रहा था जबकि मेरे दोस्त बोतलें खाली करने की होड़ में लगे थे।
रात को लगभग 9.30 का वक्त था हम एन्जॉय कर रहे थे अचानक मेरा फोन बजा।मैंने सोचा घर से होगा लेकिन ये Unknown contact था।चूंकि म्यूजिक तेज आवाज में बज रहा था इसलिए मैं रूम से बाहर आ गया।
“Hello!!”मैंने कॉल रिसीव करते हुए कहा।
“Hi!!” उधर से मखमली आवाज आई।यद्यपि म्यूजिक की आवाज अब भी आ रही थी लेकिन इतनी नही कि मैं दुनिया की सबसे प्यारी आवाज को पहचान न पाऊँ।यह प्रिया थी।
मैं आश्चर्यचकित था कि उसने मेरा no. खोज लिया था जबकि मैं ऐसा नही कर पाया था।संभवतः उसने अपनी बुआ से लिया होगा।
“Priya!!”मेरी खुशी का ठिकाना नही था।
“हाँ!!”उसने कहा। उसकी आवाज से भी खुशी झलक रही थी।
“पहचान गए!!” उसने कहा।
“हाँ!!”मैंने कहा।मैं उसे कैसे बताऊं कि मैं उसे कितना याद करता हूँ।
हम दोनों ने बहुत सारी बातें की।उसने पूछा कि कैसे एन्जॉय कर रहे थे मैंने रूम की कंडीशन उसे बताई और बताया कि कैसे मेरे दोस्त मेरे रूम को “हुक्का बार”की तरह प्रयोग कर रहे हैं जहां से अब भी सिगरेट के धुएं की गंध आ रही थी।
वह हंसी।वह खुश थी उससे अधिक मैं खुश था।आज मेरी जिंदगी में वो हो रहा था जिसके सपने मैं पिछले 5 महीनों से हर रोज देखता आ रहा था।
“यह तुम्हारा no. है?” मैंने उससे पूछा।
“हाँ! Save कर लो।” उसने कहा।
मुझे लगा जैसे मेरी सारी मुरादें पूरी हो गयी हों।हमने लगभग 1.30 घण्टे तक बातें की।
12 बजते ही मैंने उसे Happy new year wish किया।
क्या मैं उसे चाहने लगा था?
क्या वो भी मुझे पसंद करने लगी थी?
क्या अब मुझे उसे Propose कर देना चाहिए?
                                             दूसर और अंतिम भाग शीघ्र …
लेखक : भूपेंद्र सिंह चौहान

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