भगवान महावीर का 2551 वां निर्वाण कल्याणक दिवस दीपावली पर्व
आज से ठीक 2550 वर्ष पूर्व भगवान महावीर का आज के दिन निर्वाण हुआ था । आज के इस निर्वाण दिवस पर मेरा भावों से प्रभु को शत – शत वन्दन ! इस अवसर पर मेरे भाव –
दीपों के पर्व पर चेतन , निज घर में कर तू आत्मरमण
प्रभु महावीर की तरह स्वयं को स्वयं आत्मसात कर
कर्मों को क्षय करने की जागृति चिंतन में लानी हैं
आत्मा का “प्रदीप “ पाने को भव सागर से पार होना है
कोई तेरे को हँसाता , कोई तेरे को दुःखी करता
यह संसार हैं सुख – दुःख का मैला
रे ! चेतन तू निज स्वभाव में रहकर , ले जीने का प्रण (1)
सुख – दुख , प्रेम-शोक ,जन्म – मरण कर्मों की लीला
भव – भ्रमण से साथ में रहने वाले कर्मों की विचित्र लीला
रे चेतन ! सम्भाव में रहकर , सम्यक् चिंतन का ले प्रण (2)
समय का क्या भरोसा ,साँसो का पँछी पल में उड़ जाता
आउखे की घड़ी आते ही कोई भी नहीं रुकता
रे चेतन ! राग – द्वेष को जितना ही हैं , इसका लें तू प्रण (3)
पर भावो में दुःख होता , निज स्वभाव में सुख होता
आत्मा का कल्याण स्वयं से स्वयं का होता
रे चेतन ! तुझे इसको विकसाना हैं , ऐसा तुझे लेना हैं प्रण(4)
आत्मा अजर अमर अविनाशी ,शुद्ध रूप ये दिव्य प्रकाश
जन्म – मरण की श्रृंखला का तोड़ना हैं घेरा
रे चेतन ! निज आत्मा में सूख मिलता हैं , ये हो हमारा प्रण(5)
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
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