अलविदा राहत साहब

अलविदा राहत साहब

उर्दू के मशहूर कवि और बॉलीवुड के गीतकार राहत इंदौरी अब हमारे बीच नही रहे। राहत इंदौरी का मंगलवार की शाम को दिल का दौरा पड़ने से इंतकाल हो गया है, और यह भी बताया जा रहा है कि उनकी कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी। उनकी उम्र 70 साल की थी।

राहत इंदौरी इंदौर के रहने वाले थे इसीलिए इनका नाम के आगे इंदौरी शब्द वक्त के साथ जुड़ गया था। सोमवार को ही स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से उन्हें इलाज के लिए अरविंदो अस्पताल में एडमिट कराया गया था।

राहत शब उर्दू के प्रसिद्ध मशहूर कवि होने के साथ ही पूर्व प्रोफेसर और एक चित्रकार भी थी। इनका नाम पूरा राहत कुरैशी था और ये जीवन से जुड़ी हर बात की बेहतरीन जानकारी रखते थे।

राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर शहर में हुआ था। इनका पूरा नाम राहत कुरैशी था लेकिन दुनिया इनको राहत इंदौरी के नाम से ज्यादा जानती है। इनके पिता का नाम रफतुल्लाह और मां का नाम मकबूल उन निशा बेगम था। ये पांच भाई बहन थे और इनकी परवरिश और पढ़ाई लिखाई मध्य प्रदेश में हुई थी।

इन्होंने इंदौर विश्वविद्यालय से उर्दू में एमए और “उर्दू मुशायरा” शीर्षक से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की थी और 16 साल तक इंदौर विश्वविद्यालय में उर्दू साहित्य के अध्यापक के तौर पर नियुक्ति थे। राहत साहब पिछले 40-45 साल से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुशायरा करते रहे है।

राहत इंदौरी ने दो शादियां की थी पहले शादी उन्होंने सीमा रहत से 1986 में की थी जिससे उन्हें दो बेटे और एक बेटी है। दूसरी शादी उन्होंने अंजुम रहबर से 1988 में की जिससे उनको एक बेटा हुआ लेकिन कुछ साल बाद इनका तलाक हो गया।

इस तरह बन गए शायर: 

राहत इंदौरी के शायर बनने की कहानी काफी रोचक है। बताया जाता है कि अपने स्कूल के दिनों पर वह सड़कों के साइन बोर्ड लिखने का काम किया करते थे और उनके लिखावट बहुत सुंदर थी कि अपनी लिखावट से वह हर किसी का दिल जीत लिया करते थे। उनकी तकदीर में शायर बनना मुकर्रर था।

एक मुशायरे में उनकी मुलाकात उस समय के मशहूर शायर जां निसार अख्तर से हो गई जहां पर ऑटोग्राफ लेते वक्त राहत इंदौरी ने शायर बनने की इच्छा जाहिर की थी।

तब जां निसार अख्तर ने उन्हें कहा कि पहले 5000 शायरी जुबानी याद कर डालो और उसके बाद खुद-ब-खुद शायरी लिखने लगोगे तो जवाब में राहत इंदौरी ने कहा कि मुझे 5000 शायरी तो पहले से ही याद है तो अख्तर साहब ने कहा कि तो फिर तुम पहले से ही शायर हो, देर न करो और स्टेज संभाला करो।

धीरे-धीरे राहत इंदौरी अपने आसपास के इलाकों की महफिलों में शायरी करने लगे और धीरे-धीरे वह एक शायर बन गए। वह अपने जज्बातों को शेरों के जरिए कहा करते थे जिसे नजरअंदाज करना नामुमकिन हो जाता था।

राहत इंदौरी ने हर विषय पर लिखा है चाहे वह दोस्ती हो, प्यार हो या फिर कोई भी रिश्ता। उन्होंने हर चीज में बेहतरीन शायरी की है। राहत इंदौरी को उर्दू तहजीब का वटवृक्ष जैसा बताया जाता है क्योंकि एक लंबे समय तक राहत साहब ने अपनी शायरी के जरिये हिंदुस्तानी तहजीब से लोगो को रूबरू करवाया।

राहत साहब को पेंटिंग का भी शौख था और वह व्यवसायिक स्तर की पेंटिंग भी किया करते थे। उन्होंने कई सारी बॉलीवुड फिल्मों के लिए पोस्टर और बैनर भी चित्रित किए थे और पुस्तकों के कवर को भी डिजाइन करने का काम करते थे।

राहत इंदौरी साहब ने बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर की 11 फिल्में गीतों दिया है। मुन्ना भाई एमबीबीएस में भी उनके गीत का इस्तेमाल हुआ है।

राहत इंदौरी साहब बेहद सरल और स्पष्ट भाषा में अपनी कविताएं लिखा करते थे। उनकी अपनी एक विशेष शैली होने की वजह से दुनिया में उनकी एक अलग ही पहचान बन गई थी।

 

लेखिका : अर्चना  यादव

 

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