तंबाकू तेरे कारण | Geet tambaku tere karan
तंबाकू तेरे कारण
( Tambaku tere karan )
रूठ गई है मुझसे अम्मा रूठा सारा परिवार
घर का रहा ना घाट का में फिरता हूं लाचार
तंबाकू तेरे कारण, तंबाकू तेरे कारण।
पड़ा नशे में धुत रहा ना रही सुध बुध खाने की
भुगत रहा परिणाम सारे लत गले लगाने की
गुटका पान मसाला हुआ रोग कैंसर का कारण
भुगत रहे भुक्तभोगी मौत का कर लिया वरण
तंबाकू तेरे कारण तंबाकू तेरे कारण।
धुआ धुआ सी हुई जिंदगी सांसे अटकी अटकी
जाड़ दांत आंत खत्म सब हुई आत्मा भटकी
दमा से सारा दम निकला किसकी लेलू शरण
सिगरेट के कश में लुढ़क गया प्यारा रामचरण
तंबाकू तेरे कारण तेरे कारण
कई मौत से जूझ रहे हैं जाकर उन्हें संभालो
आने वाली पीढ़ी को भी लत से जरा बचा लो
नशे ने कितने बर्बाद किये असमय हुआ मरण
चेतना की जोत जला आओ उठाएं नया चरण
तंबाकू तेरे कारण तंबाकू तेरे कारण
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )