रात ना होती | Raat na hoti | Kavita
रात ना होती
( Raat na hoti )
मधुर ये बात ना होती, मधुर मुलाकात ना होती।
धड़कनें थम गई होती, अगर ये रात ना होती।
खिलती हुई सुबहें, सुहानी शाम मस्तानी।
हसीं पल ये प्यारे लम्हे, रात हो गई दीवानी।
सुहाने ये प्यारे जज्बात, दिलों की बात ना होती।
हसरतें रह जाती मन में, अगर ये रात ना होती।
महफिले महकती रहे, बहारों का मौसम आए।
बागों में खिल जाए कलियां, शमां रौनक बरसाए।
दिलबर तुमसे मिलने की, शुभ प्रभात ना होती।
दिलों में रह जाती यादें, अगर ये रात ना होती।
तराने दिल के तारों के, मधुर तुमने सुनाए थे।
मधुर धुन बड़ी प्यारी सी, दीवाने दौड़े आए थे।
गीतों की मोहक लड़ियां, मधुर वो राग ना होती।
कैसे होता मधुर मिलन, अगर ये रात ना होती।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )