हम पर कोई नक़ाब थोड़ी है
हम पर कोई नक़ाब थोड़ी है

 हम पर कोई नक़ाब थोड़ी है 

( Hum par koi naqab thodi hai )

 

❄️

आइना खुदको क्या समझता है
नक़ाब वाला चेहरा दिखाता है तो दिखाने दो
हम पर कोई नक़ाब थोड़ी है
❄️
ये जुगनू घेर लेता है पूरी आसमान को
चाँद अकेला है पर किसी से कम थोड़ी है
❄️
रोकर प्यार जाताना अच्छा है
मगर सबको रोना चाहिए ये ज़रूरी नहीं
यह कोई रिवायत थोड़ी है
❄️
में करूँगा जो चाहे
यह कांटे है मगर रस्ते पे मेरी रुकावट थोड़ी है
❄️
मेरी जेहन है, मेरी हिया है
किसी की इस पर मालकियत थोड़ी है
❄️
हम खून से किसी के नाम लिखने वाले है नहीं
हम पर किसीकी मर्ज़ी चलने वाली है नहीं
मेरे सामने ये चेहरा फ़र्ज़ी चलने वाली है नहीं
यह खून, ये जान मेरी है
कोई मांगे और मिल जाए उसे
यह इतना सस्ता थोड़ी है

❄️

कवि: स्वामी ध्यान अनंता

( Chitwan , Nepal )

 

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