पेंशन मिल पायेगी | Chanchal poetry
पेंशन मिल पायेगी
( Pension mil payegi )
सुनो पति जी छोड़ अलाली, जाओ सबके साथ।
पेंशन मिल पायेगी, मिल के जाने के बाद ।।
सबके हक के काजे लड़ रहे अपने सारे भाई
तुम घर में बस बैठे खा रहे, ओढ़े मस्त रजाई
हाथ पांव के कष्ट जरा दो, जाओ सबके साथ।
पेंशन मिल पायेगी, मिलके जाने के बाद ।।
टीम मित्रों की आगे होकर, सबको जा समझा रही
अभी नहीं तो कभी नहीं, तोता सो पढ़ा रही
अबे भोग लो तनख्वा के सुख, बाद कटोरा हाथ।
पेंशन मिल पायेगी, मिल के जाने के बाद ।।
मैथी की भाजी पूड़ी और चूड़ा साथ रखूंगी
कहां पहुंच गए, कब आओगे दिनभर नहीं कहूंगी
बाल बच्चों की चिंता छोड़ो, मैं रखूंगी साथ।
पेंशन मिल पायेगी, मिलके जाने के बाद ।।
और सुनो गर तुम नहीं जा रहे, मेहे भेज दो जा मैं
खुशी खुशी मैं चली जाऊंगी,मैडम जी संग जा मैं
पेंशन अपनो ही भविष्य है मानो “चंचल” बात।
पेंशन मिल पायेगी, मिलके जाने के बाद ।।
कवि : भोले प्रसाद नेमा “चंचल”
हर्रई, छिंदवाड़ा
( मध्य प्रदेश )
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