साथ

साथ

साथ

*

कहते हैं वो
हम साथ हैं
साथ हैं ?
तो कहने की क्या बात है?
साथ!
एक एहसास है।
जो न आपके
न मेरे पास है!
फिर कहिए
कौन किसके साथ है?
एहसास ही जज़्बात है
जहां जज़्बात है
वहीं साथ हैं
बाकी सब बात है।
और , बात की क्या औकात है?
बस! बकवास है
नहीं कुछ ख़ास है
हां! सिर्फ बात है
न हम आपके
न आप मेरे साथ हैं।
एहसास नहीं
जज़्बात नहीं
तो फिर साथ नहीं!

?

नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

यह भी पढ़ें :

टीआरपी का खेल!

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *