
Similar Posts

Ghazal | उलझन
उलझन ( Uljhan ) क्यों उलझा है शेर हृदय तू, बेमतल की बातों में। जिस संग मन उलझा है तेरा, तू ना उसके सासों में। मना ले अपने चंचल मन को, वर्ना तू पछताएगा, प्रेम पतित हो जाएगा फिर,रूक ना सकेगा आँखो में। इतना ज्ञान भरा है तुझमें, फिर.भी क्यो अंजान रहे। इकतरफा है प्यार…

आओ बिखेरे प्यार की खुशबू | Poem Pyar ki Khushboo
आओ बिखेरे प्यार की खुशबू ( Aao bikhere pyar ki khushboo ) प्यार सब को ही जोड़ता है, नही किसी को ये तोड़ता है। आओ बिखेरो प्यार ख़ुशबू, नही रखो अपना कोई शत्रु।। प्यार के होते अनेंक प्रकार, इसी से चलता यह संसार। हमने प्यार में गुजार दिये, कई दिन, महिनें और साल।। क्यों…

शीतला माता | Poem sheetla mata
शीतला माता ( Sheetla Mata ) शीतलता दात्री शीतला, शीतल करे हरे सब पीरा। जा पर कृपा करें माँ भवानी सहाय करे रघुवीरा। गर्दभ हो विराजित माता, कलश मर्जनी कर सोहे। ठंडा बासी आपको भाता, श्वेतांबर माता मन मोहे। चेचक रोग नाशिनी मैया, पीत ज्वर हर संताप हरे। आरोग्य सुखदाता माता, हर्ष …

जामुन | Jaamun Par Kavita
जामुन ( Jaamun ) देखो काली-काली जामुन भाए डाली डाली जामुन l कुछ पक्की कुछ कच्ची जामुन कुछ मीठी कुछ खट्टी जामुन l गुच्छे में खूब लटक रही है बच्चों को खूब खटक रही है l कुछ काली कुछ लाल हरी लेकिन जामुन खूब फरी l बच्चे चढ़कर तोड़ रहे हैं कुछ बीन रहे…

बचा लो सृष्टि भगवान | Bachalo Srishti Bhagwan
बचा लो सृष्टि भगवान! ( Bachalo srishti bhagwan ) अनर्थ व्यापक हो रहे हैं धरती धरा पर दुष्ट आततायी बढ़ रहे हैं धरती धरा पर बढ़ रहे हैं जुल्म यहाँ पर निर्धन बेबस हैं लाचार जाने कैसे देखकर चुप है? जगत के तारनहार! अत्याचार बढ़ा है हद से मची लूट है चहुंओर दबंगई हत्या…