आ रही है फूलों से सदा एक ही!
आ रही है फूलों से सदा एक ही!
आ रही है फूलों से सदा एक ही!
मत मसलों यूं मुझे बेदर्दी से
फूल हूँ मैं आंगन का वो ही हंसी
बद्दुआ से दूर रहता हर आंगन
जीने दो मुझको जहां में इज्जत से
फूल हूँ मैं नाजुक सी खिलती कभी
मत मसलों यूं कदमों से ए लोगों
हूँ कली वो दूंगी ख़ुशबू प्यार की
जिंदगी है मेरी वजह से ये तेरी
मैं बहन हूँ मैं मां हूँ मैं पत्नी हूँ
देख रहा है आज़म नफ़रत के बबूल
प्यार के गुल अब लगाता कौन है
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )