आंखों से मेरी सभी वो आज रूठे ख़्वाब है
आंखों से मेरी सभी वो आज रूठे ख़्वाब है

आंखों से मेरी सभी वो आज रूठे ख़्वाब है

 

 

आंखों से मेरी सभी वो आज रूठे ख़्वाब है!

हो गये है जिंदगी से दूर सारे ख़्वाब है

 

टूट जाते है मंजिल पे ही पहुचने से पहले

प्यार के ही  कब पूरे ए दोस्त होते ख़्वाब है

 

कब न जाने होगे सच दिल में बसे है जो मेरे

सच कहे आंखों में ही रोज़ ढोते ख़्वाब है

 

मत यक़ी करना ज़रा भी तू मगर इनपे कभी

प्यार के होते सभी ए दोस्त झूठे ख़्वाब है

 

टूट गये है ख़्वाब नींदों से उल्फ़त के वो सभी

आसुओं में रोज़ आंखों से अब बहते ख़्वाब है

 

हम सफ़र मेरा बना दें उम्रभर के ही लिये

जिस हंसी के ए ख़ुदा जो रोज़ आते ख़्वाब है

 

जो हक़ीक़त में नहीं आज़म हुआ है हम सफ़र

नींद में उसके यहां तो रोज़ रहते ख़्वाब है

 

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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