माता की भूमिका | Kavita Mata ki Bhumika
माता की भूमिका
माता ही हमारी जान-प्राण-शक्ति,
हम उनके जिगर के टुकड़े।
माता की भूमिका अनुपम,अद्भुत।
माता जी के बिना बच्चों का सर्वांगीण
विकास संभव नहीं जीवन में।
मां की कारीगरी,कला-कौशल
से बच्चे सफल ,जिंदगी में मुस्कान।
बच्चों के लिए ही समर्पित जीवन।
क्योंकि हम रहते एक मिट्टी का पुतला,
माँ ही उसमें सार्गर्भित गुण से विभूषित।
मां की भूमिका जीवन में अपरंपार,
अवर्णनीय,अनोखी, अनूठा है ,
बच्चों के प्रति अनुपम नि:स्वार्थ प्रेम।
मां के बिना उत्तम जीवन संभव नहीं।
हर बुरी नजरों से बचाती मां।
मां की प्यारी ममता,आंचल का सुख
जीवन में कभी नहीं, किसी से प्राप्त।
हर गलती की माफी मां के पास।
सोच तू माँ ही इस दुनिया का निर्माण,
एक निर्माता के रूप में आती संसार में।
क्योंकि बच्चे का निर्माण,वही तो भविष्य
निर्माता होते संसार,समाज,परिवार,घर की ।
हर माँ से अनुरोध सदगुण डालें बच्चों में।
थोड़ी स्वार्थ में आकर जग को न बिगाड़।
यह दुनिया तो मां पर ही निर्भर है।
बच्चों को देव सादृश्य विशुद्ध ज्ञान विभूषित।
तब आ जाएगी दुनिया में कयामत।
लगेंगे सारी देवी देवता जग में विद्यमान।
होगी फूलों सा महका-महका दुनिया ।
माता-पिता जीवन का आधार बच्चों को
प्रेम और ममता से सिंचित कर गुलदस्ता
सा रखती सजा कर,अद्भुत निराली माता
स्वर्ग की सुख आपकी आंचल में,नमन।
भानुप्रिया देवी
बाबा बैजनाथ धाम देवघर