मैं आपकी | Kavita Main Aap ki

मैं आपकी

( Main Aap ki )

जनम -जनम का प्रीति जुड़ा है ।
सर्वस्व आपसे पूरा है ।।
धर्म, हे प्रभु! आप निभाइए।
सुमा के भी नाथ कहाइए।।

मांग सिंदुरी नित सजती रहे।
पाँव पैंजनियाँ बजती रहे ।।
कंगन भी मैं तो खनकाऊँ।
नित मैं आपकी ही कहाऊँ।।
भक्ति- धारा सदा बहाइए।
सुमा के भी नाथ कहाइए।।

हे प्रभु ! प्राण के प्राण मेरा।
प्रभु से शान में शान मेरा ।।
आप बिन सब कुछ अधूरा है।
आप बिन सदा हाल बुरा है।।
दीवारें सारी ढहाइए।
सुमा के भी नाथ कहाइए।।

हे प्रभु! आप सर्व शक्तिमान ।
मुझे नहीं अग्नि जल का भान।।
आँखें मूंद आश्रे लिए हूँ।
अर्पण मैं स्वयं को किए हूँ।।
प्रेमाश्रु धार से नहाइए।
सुमा के भी नाथ कहाइए।।

Suma Mandal

रचयिता – श्रीमती सुमा मण्डल
वार्ड क्रमांक 14 पी व्ही 116
नगर पंचायत पखांजूर
जिला कांकेर छत्तीसगढ़

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