खत से इजहार | Kavita Khat se Izhaar
खत से इजहार
( Khat se izhaar )
दिल की पीड़ा को नारी
भली भाती जानती है।
आँखों को आँखों से
पढ़ना भी जानती है।
इसलिए तो मोहब्बत
नारी से शुरू होकर।
नारी पर आकर ही
समाप्त होती है।।
मोहब्बत होती ही है
कुछ इसी तरह की।
जो रात की तन्हाई
और सुहाने मौसम में।
बहुत बैचैन कर देती है
और दिलको गुदगुदाति है।
जो मेहबूब से मिलने की
प्यास बढ़ती है।।
कागज पर लिखकर ही
तो मोहब्बत जुबा होती है।
दिल की बातों को
कागज पर लिखती है।
और अपने मेहबूब को
प्रेम-पत्र भेज देती है।
और अपनी मोहब्बत का
इजहार खत से करते है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन “बीना” मुंबई