Mitr ki Yaad
Mitr ki Yaad

मित्र याद आ गऍं

( Mitr yaad aa gaye ) 

 

मित्रता दिवस पर मित्र याद आ गऍं,
अब पुरानें सभी दिन वह कहाॅं गऍं।
लड़ना झगड़ना ख़ुशी पल भूल गऍं,
सब अपनी दुनियाॅं में जैसे खो गऍं।।

गुजारें थे जो पल हमनें साथ रहकर,
बेरी के बेर खाए थे पेड़ पर चढ़कर।
सॅंग स्कूल जाना लेट पर डॅंडे खाना,
याद है बदमाशी करना बढ़-चढ़कर।।

अब नये-नये बहुत मित्र जो बन गऍं,
शायद इसलिए पुरानें मित्र भूल गऍं।
कोई बना सैनिक और कोई ‌किसान,
लेखक, डाॅक्टर, दुकानदार बन गऍं।।

आज यादें पुरानी सभी ताज़ा हो गई,
फ़ोटो एलबम से मित्र की याद आई।
मैं अमीर यें ग़रीब कोई नहीं समझते,
सबकी बातें यादें एलबम में रह गई।।

बचपन के मित्र पचपन में याद आऍं,
श्रीकृष्ण सुदामा सी मित्रता निभाऍं।
दोस्तों दोस्ती को याद रखना है सारे,
अपनों जैसे प्यारे यह दोस्ती निभाऍं।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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