हैरान नहीं है | Ghazal Hairan Nahi Hain
हैरान नहीं है
( Hairan Nahi Hain )
सुन कर वो मेरा हाल परेशान नहीं है
इस बात से दिल मेरा भी हैरान नहीं है
आसानी से खा जाते हैं धोखा ये किसी से
इंसान को इंसान की पहचान नहीं है
ईमान की क़ीमत तो लगाते हैं हज़ारों
जो मुझको ख़रीदे यहाँ धनवान नहीं है
ख़ुद देख ले तू खोल के जा अपनी तिजोरी
सब कुछ है मगर दौलते – ईमान नहीं है
कश्ती को लगा दूँगा यक़ीनन मैं किनारे
मौजें हैं मचलती हुई तूफान नहीं है
सर अपना झुकाना पड़े कमज़र्फ के आगे
मंज़ूर मुझे इसलिए अहसान नहीं है
मैं ऐश करूँ अपनी अपना बेच के सागर
ऐसा तो मुझे कोई भी अरमान नहीं है
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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