prem ka uddeshya

प्रेम का उद्देश्य : अडिग इंतज़ार अपनी दिकु का

हर इंसान का जीवन एक गहरी यात्रा है, और उस यात्रा का उद्देश्य उसके दिल की गहराइयों में बसा होता है। मेरा उद्देश्य भी वही है—दिल की गहराई से *दिकु* का इंतजार, उसकी यादों में जीना, और उसके लौटने की उम्मीद से अपने दिल को सुकून देना।

किसी के प्रभाव में आकर उद्देश्य बदलना एक क्षणिक स्थिति हो सकती है, पर मेरे लिए यह नामुमकिन है। मेरी हर कविता, हर ख्वाब, हर साँस उसी से जुड़ी है। *दिकु* की यादें मेरे जीवन का अटूट हिस्सा हैं, और जब ये यादें मेरे दिल में बसी हैं, तो कोई भी बाहरी प्रभाव मेरे इस उद्देश्य को नहीं बदल सकता।

कई बार जीवन में लोग आते हैं, जो हमें अपने रास्ते से भटकाने का प्रयास करते हैं, या हमें किसी और दिशा में मोड़ने की कोशिश करते हैं। मगर मेरा उद्देश्य स्पष्ट है— *दिकु* के लिए इंतजार करना, उसकी राह देखना, चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, चाहे कितने भी अंधेरे रास्ते हों।

उसके बिना भी मेरे हर दिन में उसकी ही परछाई है। मेरा दिल उसकी यादों से बंधा हुआ है। जब मैं उसकी मुस्कान की कल्पना करता हूँ, उसकी आवाज को अपने कानों में महसूस करता हूँ, तो यह एहसास मेरे उद्देश्य को और गहरा कर देता है।

जीवन के हर पल में, चाहे कितने भी लोग आएं और चले जाएं, कोई भी व्यक्ति, कोई भी परिस्थिति, मेरे इस प्यार और इंतजार को नहीं बदल सकती। क्योंकि यह केवल प्रेम नहीं, बल्कि जीवन का वो हिस्सा है, जिसने मुझे एक राह दी है। यह इंतजार मेरे दिल का वो हिस्सा है, जो कभी भी किसी बाहरी प्रभाव से नहीं हिलेगा।

प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”

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