Kisi ke Liye

किसी के लिए | Kisi ke Liye

किसी के लिए

( Kisi ke Liye )

कौन मरता जहाँ में किसी के लिए
मर मिटे हम मगर दोस्ती के लिए

तुग़लक़ी देते फ़रमान वो हैं सदा
मारे निर्दोष भी बंदगी के लिए

ग़ैर की बाँह में प्यार को देखकर
चाँद रोता रहा चाँदनी के लिए

आज छाई उदासी चमन में बहुत
कोई भँवरा मरा है कली के लिए

जान के मौत नज़दीक उसकी खड़ी
ज़िंदगी रो रही ज़िंदगी के लिए

दम घुटा जा रहा तीरगी से मेरा
इक दिया तो जला रोशनी के लिए

बज़्म में आज मीना बहुत शोर है
क़त्ल होते कई शायरी के लिए

Meena Bhatta

कवियत्री: मीना भट्ट सि‌द्धार्थ

( जबलपुर )

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