याद रहेगा | Yaad Rahega
याद रहेगा
( Yaad Rahega )
गुज़रा जहाँ बचपन वो मकाँ याद रहेगा
हमको वो मुहब्बत का जहाँ याद रहेगा
नायाब जो इक़रार किया इश्क़ का तुमने
इन आँखों को हरदम वही हाँ याद रहेगा
इस शह्र ने दी है हमें दो वक़्त की रोटी
या रब ये मेरा रोज़ी – रसाँ याद रहेगा
हम भूल भी जाएँगे मुहब्बत के मिले पल
पर हमको जुदाई का समाँ याद रहेगा
ग़ालिब न यहाँ मीर सा अब कोई सुख़नवर
उनका हमें अंदाज़ -ए-बयाँ याद रहेगा
अब भूल न सकते कभी ज़ालिम के सितम को
जो ग़म मिला दुनिया से गिराँ याद रहेगा
ये आह-ओ-फ़ुग़ाँ इश्क़ की सौग़ात है मीना
ये दर्द हमेशा ही मियाँ याद रहेगा
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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