चलो चलें | Chalo Chale
चलो चलें
( Chalo Chale )
यह संसार तो दुःख का घर है।
सपने में भी नहीं सुख यहाँ पर है।
माया के हाथों में है सबकी डोर ।
फिराए चाहे माया जिस भी ओर।
लाचार जीव धुनें सिर पकड़ है।
सपने में भी नहीं सुख यहाँ पर है।
भटक-भटक कर थक जाएँ।
सुकून कहीं पर न जीव पाएँ।
भक्ति बिना सब दर- बदर हैं।
सपने में भी नहीं सुख यहाँ पर है।
चलो चलें अब भगवत धाम।
यहाँ रहकर करना कौन काम?
सुख की खानि एकमात्र रघुवर हैं।
उनसे दूर नहीं सुख कहीं पर है।
परख लिया, देख लिया संसार।
यहाँ जीतकर भी जाते हैं हार।
बना रहता नित खोने का डर है।
सपने में भी नहीं सुख यहाँ पर है।
रचयिता – श्रीमती सुमा मण्डल
वार्ड क्रमांक 14 पी व्ही 116
नगर पंचायत पखांजूर
जिला कांकेर छत्तीसगढ़