Sanatan dharm par kavita

सनातन की राह चलो

शुभ दशहरा, शुभ विजयादशमी

अधर्म से धर्म की ओर कदम बढ़े।
असत्य से सत्य की ओर हम बढ़ें।
ईमानदारी का सदैव पाठ पढ़ें ।
नित्य नूतन रचना कर्म हम गढ़ें।।

आपको एवं सम्पूर्ण सगे संबंधियों को,
हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनाएं!
खुशियों के इस वातावरण में हम,
मिलजुल कर एक दूजे को गले लगाएं!

सनातन की राह चलो

विजयादशमी शुभ हो!
नि:स्वार्थ प्रेम भाव से!!
मंगलमय , बधाई हो!
शुभेच्छा श्रद्धाभाव से!!

आपसी कटुता दूर हो!
विद्वेष सब कपूर हो!!
बदला लेना छोड़कर ,
बदल देना ज़रूर हो!!

बहुत क्लेश कर चुके,
वैमनस्यता दूर करें!!
अलग गुट बनाने को,
अब न कोई मजबुर हो!

सामंजस्य सौहार्द हो!
बेईमानी अब छोड़ दो!!
पारदर्शिता अपनाओ ,
चोरी करना भी छोड़ दो!!

सच्चाई के मार्ग से चलो!
सद् धर्म की राह चलो!!
अधर्म त्याग कर चलो,
सनातन की राह चलो!!

अंत काल पछताओगे!
सनातन अपनाओगे!!

Prof Dr Alok Ranjan Kumar

डॉ.आलोक रंजन कुमार

जपला, पलामू, झारखंड।

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One Comment

  1. बहुत सुंदर
    ऐसी ही अन्य रचनाओं के लिए प्रतिक्षारत🙏🙏

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