तूने ख़त उसका गर पढ़ा होगा

तूने ख़त उसका गर पढ़ा होगा

तूने ख़त उसका गर पढ़ा होगा

तूने ख़त उसका गर पढ़ा होगा
नाम तेरा नया रखा होगा

उस जगह कौन दूसरा होगा
जिस जगह पर तू अब खडा होगा

उसके होठों से नाम सुनकर तो
फूल दिल में कोई खिला होगा

उसने जब कल छुआ बदन तेरा
कुछ तो एहसास फिर हुआ होगा

वक्त पर जो न आयी मिलने तो
दर्द दिल में भी इक उठा होगा

हसरतें होती सब कहाँ पूरी
कुछ तो दिल में कहीं दबा होगा

उसके आने से ही प्रखर दिल भी
अब खुशी से उछल रहा होगा

Mahendra Singh Prakhar

महेन्द्र सिंह प्रखर 

( बाराबंकी )

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