Kavita devtaon ki diwali

रौशन करें | Roshan Karen

रौशन करें

( Roshan Karen )

तीरगी में प्यार का ऐसा दिया रौशन करें
हो उजाला जिसका हर सू वो वफ़ा रौशन करें

लुत्फ़ आता ही कहाँ है ज़िन्दगी में आजकल
मौत आ जाए तो फिर जन्नत को जा रौशन करें

मतलबी है ये जहाँ क़ीमत वफ़ा की कुछ नहीं
हुस्न से कह दो न हरगिज़ अब अदा रौशन करें

आलम -ए- वहशत में हूँ और होश मुझको है नहीं
वो तो ज़ीनत हैं कहो वो मयकदा रौशन करे

इंतिहा- ए- तिश्नगी कोई मिटा सकता नहीं
कह दो बीमार-ए-मुहब्बत की दवा रौशन करें

किस क़दर है आज कल खुद पर गुमां इन्सान को।
मीर कह दूँ मैं उन्हें गर वो फ़ज़ा रौशन करें

रोज़ ही किरदार पे उठती रही हैं उँगलियॉं
कोई उल्फ़त का नया अब सिलसिला रौशन करें

हो गया मीना मुकम्मल ज़िन्दगी का ये सफ़र
टूटती साँसे कहें चल मक़बरा रौशन करें

Meena Bhatta

कवियत्री: मीना भट्ट सि‌द्धार्थ

( जबलपुर )

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