आइना जिन्दगी का
आइना जिन्दगी का
ना पैसों का गुरुर , ना बोले रुदबा l
आप अगर नेकी है , तो नेकी क्या है ll
ख़ुशियों का आंचल बनकर , उल्लास को छापा है l
दिनचर्या की चाह बनकर , जीना सिखाया है ll
चमक सूर्य – चंद्र के सम , दया प्रभु के सम l
दिया नाम और शहोरत , शांत सज्जन हो कर ll
शिक्षक को नाम दिया , विद्या को स्थान दिया l
शिक्षार्थी को छत्रवृत्ता , देखा जीवन छात्र ll
संघर्ष के पथ पर चलकर , कष्ट काटा जमकर l
काँटों को फूल बनाया, बंजर को बृन्दावन ll
समाज की शक्ति बनके , दीप की उम्मीद बने l
माँ की मुस्कान बनके , कई मोति बिखेरे ll
छोड़ दे बीच में उस पल का भी शुक्रिया l
रहे जो संघ उस साथ का भी शुक्रिया ll
वाहिद खान पेंडारी
( हिंदी : प्राध्यापक ) उपनाम : जय हिंद
Tungal School of Basic & Applied Sciences , Jamkhandi
Karnataka
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