अनुराग से उजियार

अनुराग से उजियार

अनुराग से उजियार

जगमग धरती उजियार , स्नेह दीप है आज l
हर कण में दीप सजे , हुवा अंधकार बौना l

धन की वर्षा विश्व में , करती चंचल लक्ष्मी l
समय और विवेक की , शिक्षा से झोली भरी l

माँ से मेवे – मिटाई , पिता से पटाकी l
नभ को चंद्रमा तो , घर को मिला दीप l

इस प्रकाश की लौ को , कबसे हम तरस गए l
न जाने कौन दीपों की , आहट चुरा ले गए l

भेद – भाव की दीवार , आओ गिरादें l
भूल कर पीछले गिले , सबको गले लागा लो l

हृदय दीप दान करें , मानव का आदर करें l
पृथ्वी के हर अंग को , दीप से रौशन करें l

सभी ने सुनली सखा , दीप से बोली आज l
दमक उठा संसार , ऐ मिट्टी के मुनि l

सजे बच्चे – जवान – बूढे , फुलकित हुवा मन l
हर दिशा गूँज रही , आहट ए दीपोत्सव l

वाहिद खान पेंडारी

( हिंदी : प्राध्यापक ) उपनाम : जय हिंद

Tungal School of Basic & Applied Sciences , Jamkhandi

Karnataka

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