मैंने क्या किया?

मैंने क्या किया | Kavita Maine kya Kiya

मैंने क्या किया ?

( Maine Kya Kiya )

 

मेरे पास एक नाव है
टुटी हुई सी
छेद हुआ पड़ा
जो किसी काम का नहीं
फेंक नहीं सकता
पर जगह टार है रखा
क्या करूं इसका
समझ नहीं आता
फेंका भी नहीं जाता
जाड़े का इंतजार कर रहा हूं
जला दूंगा
भगा के ठंड कितनों का भला करूंगा
राख को फूलों के गमले में डाल दूंगा
खाद का काम करेगा
तभी जी मेरा भरेगा
कबाड़ से कुछ तो हासिल किया
फूल खिला और जीवन मिला
अब नहीं है मन में कोई गिला!
बताएं आप
मैंने ठीक किया?

नवाब मंजूर

लेखकमो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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