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हिंदी सिनेमा के शुरुआती दौर की अभिनेत्रियां और उनकी संघर्ष गाथा

हिंदी सिनेमा के शुरुआती दौर की अभिनेत्रियां और उनकी संघर्ष गाथा

भारत के हिंदी सिनेमा को बॉलीवुड के नाम से बुलाते हैं । बॉलीवुड को पॉपुलर बनाने और यहाँ तक पहुचाने में महिलाओं का भी काफी योगदान रहा है । उस समय महिलाएं सामाजिक बंधनों को तोड़कर हिंदी सिनेमा में और इस मुकाम पर पहुचाया । अगर वो आगे उस वक्त न आती तो बॉलीवुड में…

राष्ट्रभाषा बिना राष्ट्र गूंगा होता है!

राष्ट्रभाषा बिना राष्ट्र गूंगा होता है!

हिंदी की अनदेखी को रोकने के लिए 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिंदी दिवस बड़े ही हर्षोल्लास ढंग से मनाया जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के दो साल बाद ही 14 सितम्बर, 1949 ईसवी को संविधान सभा द्वारा आधिकारिक भाषा के रूप में एक ध्वनिमत से इसे पास किया और 26 जनवरी, 1950 ईसवी को देश के…

Srinivas N Hindi Poetry

श्रीनिवास यन की कविताएं | Srinivas N Hindi Poetry

अनुराग माँ के प्रति प्रेम होना हैबाप के प्रति प्रेम होना हैभाई के प्रति प्रेम होना हैबहिन के प्रति प्रेम होना हैप्रेम से जीवन उत्साह होता श्रीनिवास! माँ – बाप के बीच प्रेम होना हैपति – पत्नी के बीच प्रेम होना हैप्रभू -भक्त के बीच प्रेम होना हैगुरु – शिष्य के बीच प्रेम होना हैप्रेम…

Aalekh Maharashtra Diwas

महाराष्ट्र दिवस | Aalekh Maharashtra Diwas

कोकण, मराठवाडा, विदर्भ, खानदेश को शामिल कर २२९ तालुका वाले महाराष्ट्र राज्य की स्थापना १ मई, १९६० ई. को हुई थी, इसके पीछे की एक कहानी है। महाराष्ट्र के पहले प्रसिद्ध शासक सातवाहन (ई.पू. २३० से २२५ ई.) थे जो कि महाराष्ट्र के संस्थापक थे। अल्लाउद्दीन खिलजी से लेकर औरंगजेब तक मुगलों ने लंबे समय…

Saree

साड़ी | Saree

साड़ी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं भारत में साड़ी का आगमन बानभट्टा द्वारा रचित कदंबरी और प्राचीन तमिल कविता सिलप्पाधिकरम में भी साड़ी पहने महिलाओं का वर्णन किया गया है इसमें हमारे भारतीय कुछ इतिहासकारों का मानना है की कपड़े बुनाई की कला 2800-1800 ईसा पूर्व के दौरान मेसोपोटामियन सभ्यता से ही विकसित हुई । यूं…

राष्ट्रभाषा बिना राष्ट्र गूंगा होता है | Rashtrabhasha ke Bina Rashtra

राष्ट्रभाषा बिना राष्ट्र गूंगा होता है | Rashtrabhasha ke Bina Rashtra

( हिंदी दिवस पर विशेष ) हिंदी की अनदेखी को रोकने के लिए 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिंदी दिवस बड़े ही हर्षोल्लास ढंग से मनाया जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के दो साल बाद ही 14 सितम्बर, 1949 ईसवी को संविधान सभा द्वारा आधिकारिक भाषा के रूप में एक ध्वनिमत से इसे पास किया और 26…

अंतिम चांस | Antim Chance

अंतिम चांस | Antim Chance

वैसे उन्हें गुरु जी कहते थे। कहें भी क्यों नहीं जो उन्ही के ही मार्गदर्शन में तो कई उच्च अधिकारी बन गए थे । परंतु भाग्य की विडंबना कहे या कर्मों का फल जो कुछ भी कह लें कई बार तो एक नंबरों से ऐसे लुढ़क पड़ते थे जैसे कोई पहाड़ी से फिसल गया हो।…

Pragati ka Rasta

प्रगति का रस्ता | Pragati ka Rasta

प्रगति का रस्ता ( Pragati ka rasta )    मैं कभी नहीं मुड़ूंगा पीछे हमेशा चलता रहूंगा अपने पथ पर बिना किसी परवाह किए मैं अपने सभी गम को भुलाते हुए भूख प्यास को भुलाते हुए तन पर फटे कपड़े सजाते हुए आगे बढूंगा और मैं इस दुनिया में अपना नाम रोशन करूगा जब मैं…

” अंतराष्ट्रीय साहित्य संगम द्वारा भावभीनी श्रद्धांजलि”

” अंतराष्ट्रीय साहित्य संगम द्वारा भावभीनी श्रद्धांजलि”

भारत कोकिला लता मंगेशकर इस दुनिया को अवविदा कर हमारे बीच से चली गयीं। भारत ने वह स्वर खो दिया, जिसने हर अवसर पर राष्ट्र की भावना को भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी। अंतरराष्ट्रीय साहित्य संगम की ओर से ऐसी महान शख्सियत के निधन पर गहरी संवेदना प्रकट करते हुए गूगल मीट के माध्यम से श्री देवेंद्र…

पंकज त्रिपाठी जिन्हें हाईस्कूल तक नहीं पता था की फिल्में क्या होती हैं

पंकज त्रिपाठी जिन्हें हाईस्कूल तक नहीं पता था की फिल्में क्या होती हैं | Pankaj Tripathi jivani

बॉलीवुड की चमक धमक भरी दुनिया के विषय मे कहा जाता है कि यहां वही लोग पहुंच पाते हैं जिनके माता-पिता स्टार रहे हो या फिर भी वो किसी संपन्न परिवार से संबंध रखते हैं और उनमें विलक्षण प्रतिभा हो। लेकिन बॉलीवुड में कुछ ऐसे भी कलाकार हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और अपनी प्रतिभा के…