Saree

साड़ी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं

भारत में साड़ी का आगमन बानभट्टा द्वारा रचित कदंबरी और प्राचीन तमिल कविता सिलप्पाधिकरम में भी साड़ी पहने महिलाओं का वर्णन किया गया है इसमें हमारे भारतीय कुछ इतिहासकारों का मानना है की कपड़े बुनाई की कला 2800-1800 ईसा पूर्व के दौरान मेसोपोटामियन सभ्यता से ही विकसित हुई ।

यूं तो पहने हेतु कई परिधान विशेष है, हमारे समाज में कई जाति वर्ग व समुदाय के लोग निवास करते हैं जिनका अपना ही एक अलग पहनावा होता है और वह इस पहनावे को पोशाक या अन्य नाम से पुकारते हैं,परंतु स्त्रियों द्वारा पहनी जाने वाले परिधान में साड़ी सबसे लोकप्रिय है यह अपनी-अपने तरीके से अपने-अपने स्थान से प्रचलित है साड़ी भारत में ही नहीं बल्कि श्रीलंका बांग्लादेश नेपाल व पाकिस्तान में भी अपना एक अलग ही महत्व रखती है।

यह परिधान पूरे भारत में प्रचलित हैं तमिलनाडु कांचीपुरम की सिल्क साड़ियां अत्यंत फेमस है यहां सिल्क साड़ी को प्रमुख माना गया है इसकी अतिरिक्त असम की सिल्क मूंगा साड़ी की भारत बहुत मांग की जाती है ।

हमारे यहां बंगाल, महाराष्ट्र और गुजरात ने सुंदर भारतीय हथकरघा साड़ियों की विशाल टेपेस्ट्री में योगदान दिया है। दक्षिण भारतीय साड़िया चमकीले रंगों और भव्य रूपांकन का आकर्षण रखती हैं, जबकि बंगाल की साड़िया अपनी सरल बुनाई के साथ प्रस्तुत है, प्रत्येक साड़ी अपने मूल या क्षेत्र की एक अनूठी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है।

भारत में पोचमपल्‍ली आंध्र प्रदेश स्थित गांव अपनी बुनाई शैली और ‘इकत’ साड़ियों के लिए जाना जाता है. इसलिए इसे सिल्‍क सिटी भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त कर्नाटक की मैसूर सिल्क साड़ी, एवं वाराणसी क्षेत्र की साड़ियां मशहूर है। देखा जाए तो संपूर्ण भारत के हर राज्य की साड़ी हेतु अपनी ही एक अलग पहचान है।

आज के ट्रेंड को देखते हुए रेशम की साड़ियां कॉटन की साड़ियां फैशनेबल फ्लोरल प्रिंटेड साड़ियां महिलाएं ज्यादा पहनना पसंद करती हैं साड़ी को साड़ी के अंदाज से भी हटकर नए-नए लुक के साथ एक फैशन ट्रेंड फ्लो कर पहना जा रहा है।

यूं तो हर पोशाक और पहनावे अपना स्थान रखता है परंतु साड़ी की बात ही अलग है सिनेमा जगत में भी साड़ी को सामान्य दर्जा दिया गया है।

साड़ी हर समझ में अपना ही एक अलग अंदाज एवम् सौंदर्य रखती हैं। इसको धारण करने पर सामान्य महिला भी अपने आप में सम्मानित और प्रमुख दिखती है सामान्यतः साड़ी हमारे भारत को गौरवान्वित करती है आज भारत से निकलकर साड़ी की लोकप्रियता देश-विदेश में भारत का प्रथम फैला रही है और विदेशी लोग भी भारत की संस्कृति में सम्मिलित हुए होते साड़ी समारोह या राजनीतिज्ञ समारोह में साड़ी की मांग करते हैं।

 

आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश

[email protected]

यह भी पढ़ें :-

राशनकार्ड ( लघुकथा ) | Ration Card

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here