Srinivas N Hindi Poetry

श्रीनिवास यन की कविताएं | Srinivas N Hindi Poetry

दुर्गा देवी का पहला रूप

दुर्गा माँ नौ अलंकार का रूप है
एक एक अलंकार निराला है
प्रथम माँ का रूप शैलपुत्री है
शैलपुत्री हिमवंत की बेटी है

दुर्गा माँ सभी को अधिष्ठात्री है
उसकी एक हाथ मेंं त्रिशूल है
दूसरे हाथ में कमल फूल है
बैल वाहन पर चढ़ी रही है

भक्त लोग श्वेत वस्त्र चढ़ाते हैं
और श्वेत फूल से सजाते हैं
भक्ति,श्रद्दा से पूजा करते हैं
सुख,शांति से खुश पाते हैं

लाल बहादुर शास्त्री

कांग्रेस पार्टी सीनियर नेता थे
गांधी के परम अनुयायी थे
नेहरूजी को वफादार थे
स्वतंत्र आंदोलन में प्रमुख थे
भारत के द्वितीय प्रधानी थे श्रीनिवास!

नमक सत्याग्रह में शामिल थे
कई उद्यामों में भाग लिए थे
इसे जेल जेवन बिताते थे
और पुस्तक पठन किये थे
जाति संघर्ष निर्मूलन किये थे श्रीनिवास!

हमारे लिए आदर्शा नेता थे
सज्जन,ईमानदारी नेता थे
वे प्रवास के आश्रय लिए थे
हरित कांति की शुरु किये थे
उनके समाधी विजय घाट थे श्रीनिवास!

महात्मा गांधी

गांधी गुजरात में जन्म लिए थे
लंदन में वकालत किये थे
जाति ,धर्म खंड को विरोधी थे
अहिंसा मार्ग में स्वराज्य लाये थे
वे जाति पिता नाम से प्रसिद्द थे

स्वतंत्र लाने के प्रमुख नेता थे
उनका आयुध सत्याग्रह थे
संग में भेदभाव दूर किये थे
उनके सिद्दांत सत्य,अहिंसा थे
उनको महात्मा कहते थे

विदेशी वस्त्रों को बहिष्कार थे
खादी वस्त्रों को धारण किये थे
कई आंधोलन में भाग लिए थे
जेल जीवन भी बिताते थे
सच्चाई के प्रति रूप गांधी थे

ह्रदय

सिगरेट पीना एक व्यसन
निरंतर बैठना आलसीपन
वैसे वजन बढ़ना असहन
अधिक तनाव से परेशान
इसे हमारे दिल दुखित होते

ह्रदय में कई समस्य होते हैं
इससे उलझन पैदा होते हैं
क्लेश की बात सुनते हैं
तो सावधान से रहना हैं
दिल नियंत्रण होना जरूरी

रक्त संचार ठीक होने से
हररोज व्यायाम करने से
संतुलित भोजन लेने से
सही समय पर नींद होने से
ह्रदय संबंधी रोग दूर होता!

पर्यटक प्रांत का महत्व

सृष्टि का मूल आधार प्रकृति
अति रमानीय प्रांत प्रकृति
हमारे लिए वरदान प्रकृति
सबको आकर्षित होता प्रकृति
कुदरत अमूल्य निधि है!

विश्व में कई पर्यटक प्रांत है
यह प्रांत देखे तो खुशी होता है
जैसे सांस्कृतिक के प्रसिद्द है
वैसे शोभा से अनुभूती होता है
प्रकृति से मनोरंजन होता है!

संपदा मिलता प्रकृति से
स्थल पुराण बोध है प्रकृति से
आर्थिक स्थिति बढ़ता प्रकृति से
नयी चीजों बोध होता प्रकृति से
यात्रिकों के प्रसिद्द स्थान है!

काश कोई होता जो बिन कहे सब समझ लेता

गुरु सबक न पढ़ाते तो
कोई भी मुद्दा समझते नहीं
पूजारी मंत्र,जप न करते तो
किसी भी मोक्ष प्राप्त नहीं

माँ अच्छी आदत न सिखाती तो
हमारे जीवन में बदलाव नहीं
पिता अच्छी विषय न बताते तो
हमारे चरित्र में उन्नति नहीं

जिंदगी में क्लेश,सुख
और पुण्य,दया,निर्दया
भ्रष्टाचार और सच्चाई को
ये सभी विषय ईश्वर को नहीं
कहने पर भी समझ सकते है।

मेरी जिंदगी का संगीत

मुझ को संगीत पसंद है
इससे मन खुश होता है।
दुखों से भरा जीवन है
संगीत से दुःख दूर होता है।

सुबह संगीत सुनना अच्छा है
इस से उल्लास बढ़ता है
जैसे संगीत मधुर होता है
इसे मानसिक दुख मिटाता है

संगीत को सीखना एक कला है
यह अभ्यास से साध्य होता है।
संगीत शिशु पसंद करता है
इससे मनोविनोद मिलता है।

संगीत से बीमारी दूर होता है
इससे दिल उत्साह बढ़ता है।
हरदिन संगीत को सुनता है
इसे मेरा मन जोश बनता है।

जीवन चक्र

जीवन गहरा निलयम है
जैसे सुख, दुख से भरा है
वैसे रोग,निरोग से भरा है
आशा, निराशा भी होता है
ये सभी को धैर्य से लड़ना है

भय से कांप हो जाता
विरह से आक्रोश होता
क्रोध से अनारोग्य होता
तनाव से दुखित होता
ये सभी से सावधान होना

स्नेह से मिला संतोषम
मान से मिला भाग्यम
दया से मिला बंधम
पुण्य से मिला मोक्षम
जिंदगी में ये सभी जरूरी है

रिश्तों में गहरी उलझन

हमारा देश बड़ा विशाल है
प्रकृति सुन्दर और मलिन है
परिवार छोटा और बड़ा है
रिश्तेदार मित्र और शत्रु है
रिश्तेदार से सावधान होना श्रीनिवास!

दौलत से लड़ाई करता है
गुस्सा से बात नहीं करता है
समस्या को देर से समझता है
स्वजन की समस्या साधारण है
रिश्तेदार का स्वभाव विभिन्न है श्रीनिवास!

क्लेश में सुझाव न देता
सहायता नही करता
प्रेमभाव नही दिखता
रक्त संबंध नही बढ़ाता
कुछ रिश्तेदार वैसा होता श्रीनिवास!

मैं कही भी रहूँ

जन्म और मृत्यु तक
अंदर और बाहर तक
श्रम और अभ्यास तक
गौरव और प्रतिष्ठ तक
मै कही भी रहूँ एक जैसा होता

झोंपड़ी में निवास होने से
भवन में निवास होने से
महल में निवास होने से
बंगला में निवास होने से
मै कही भी रहूँ एक जैसा होता

गांव में व्यापारी करे तो
शहर में नौकरी करे तो
इलाका में सेवा करे तो
प्रांत में मदद करे तो
मै कही भी रहूँ एक जैसा होता

पर्यावरण से संघर्ष

वृक्षों को ज्यादा लगावो
इसे स्वच्छ प्राणवायु को पावो
पृथ्वी को हरा भरा बनावो
प्रकृति से मनोरंजक पावो
पेड़ पौधों को रक्षा करो

वृक्षों को देखभाल करो
भूमि पर प्रदूूषण दूर करो
मातृभूमि का संरक्षण करो
जीव जंतुवों की सुरक्षा करो
जीवन का आधार पर्यावरण

जंगलों को काटने से
वैसे मिट्टी को खोदने से
पहाड़ को फोड़ सकने से
वैसे प्रदूूषण बढ़ सकने से
इसे नित्यम संघर्ष करते हैं

मानव मन विकृति

मानव जीवन जटिल है
जैसे उलझनों से पीड़ित है
इसे दिल में हलचल होता है
वैसे स्थिरभाव से दिल् नही है
हमें मन को नियंत्रण करना

पराए बच्चों के प्रति
बाह्य वस्तुवो के प्रति
अच्छी परिवार के प्रति
अच्छी मित्रों के प्रति
मानव का दिल में ईर्ष्या होता

अमीर व्यक्ति को देखे तो
याचक व्यक्ति को देखे तो
बिमारी व्यक्ति को देखे तो
गरीब व्यक्ति को देखे तो
मानव का मन विकृत होता

बेटी का महत्व

घर घर में बेटी होती है
लक्ष्मी के समान होती है
बेटी की पदाई घर की हित् है
सदा बेटी की रक्षा करना है
बेटी घर की आशा है

चेहरे में हंसना देखना है
पढ़ाई के प्रेरणा देना है
संघ में बिना भय से रहना है
बेटी को गौरव से देखना है
बेटी की रक्षा करो

बेटी के प्रति प्रेम दिखाना है
इसे स्नेह भाव बढ़ता है
बेटी के प्रति दया दिखाना है
इसे यकीन,कर्तव्य बढ़ता है
बेटी घर की भविष्य है

नित

हर दिन प्रभू की पूजा करो
वैसे माँ बॉप की सेवा करो
हर दिन गुरु की बातें सुनो
वैसे सुनागरिक बनो
तुम अपना कर्तव्य निभावो

ईश्वर को स्मरण करो
नेतावों को याद करो
पंडित को आदर करो
विश्वास से जीवित करो
ये सब हरेक का कर्तव्य हैं

दूसरों की मदद करो
दूसरों की भलाई करो
दूसरों की सेवा करो
दूसरों की रक्षा करो
ये सब जिंदगी में याद करो

पितृ पक्ष में पूर्वजों की याद

जनम लिए
सुखित हुए
मरण हुए
दुखित हुए
जिंदा में होता श्रीनिवास!

पितृ देवता
जन्म की दाता
सेवा करता
भूल न जाता
आशीश पावो श्रीनिवास!

पिंड प्रदान
से मोक्षदान
पितृ सम्मान
से वरदान
शांति मिलता श्रीनिवास!

पूजा करता
सेवा करता
मान करता
याद करता
ये भूल नही श्रीनिवास!

पितृ भक्ति
से मिला शक्ति
ईश्वर की भक्ति
से मिला मुक्ति
पितृ प्रभू है श्रीनिवास!

छटपटाहट

भूख के कारण बच्चों
सिरदर्द के कारण बच्चों
बुखार के कारण बच्चों
घाव के कारण बच्चों
इस से छटपटाहट होते हैं

बुजर्गो बीमारी के कारण
बुजर्गो पेट दर्द के कारण
बुजर्गो शीतल के कारण
बुजर्गों धुूप के कारण
जीवन में सावधान से रहना

कुछ लोक शैतान को देखकर
कुछ लोक संताप को देखकर
कुछ लोक चोर को देखकर
कुछ लोक सराफ को देखकर
धैर्य से जीवन में जीना श्रीनिवास!

मन को नहीं उदास करो

जीवन कठिन निलय है
दुख से भरा सागर है
रोग से पीड़ा बन्धम है
निराशा से अंधकारमय है
दिल में घायल नही करना है श्रीनुवास!

द्वेषभाव् से लड़े तो
विरह से जागते तो
क्रोध से भागते तो
न खुशी से रहते तो
दिल साफ के यत्न करो श्रीनिवास!

शत्रु से वैराग्य है
अपमान से दुर्भाग्य है
निर्दया से मूर्खत्व है
पाप से विनाश है
दिल में दुख को दूर करो श्रीनिवास!

दिल ही तो है

दिल निर्मल जैसा होना है
इस में प्रेम भरा होना है
दिल में दया गुण होना है
इस में कोमल भाव होना है
हमारे दिल मजभूत होना है

दूसरों के दिल समझना है
इससे स्नेह भाव बढ़ता है
विश्वास से रहना जरूरी है
इसे गौरव,प्रतिष्ठ मिलता है
दिल में अच्छे गुण होना है

हमारी वाणी मधुर होना है
इसे पराये लोग खुश होता है
दिल मेंं सहानुभूती होना है
इससे सेवा भाव बढ़ता है
अच्छे गुण को अपनाना है

बुदापा

जीवन में बुदापा बुरी दशा है
वैसे बचपन सुंदर लगता है
किशोर दशा अचंचल होता है
बुदापा एक कठिन अवस्था है
जिंदा में यह अंतिम दशा है

बुदापा में कष्ट अनेक हैं
वे दूसरों पर निर्भर पड़ते हैं
और स्वस्थ भी बिगड़ जाते हैं
उनकी शक्ति कम होती हैं
बुढ़ापा कठिन दशा है

पैसे कमाना मुश्किल हैं
इसे जीवन पोषण दुर्लभ हैं
वे अकेले जीवन बिताते हैं
क्लेश को बाँटने में कोई नहीं हैं
बुदापा में सावधान होना है

धन की दौलत

जीवन बिताने के धन चाहिए
धन कमाने के बुध्दि चाहिए
सत्यता से धन कमाना चाहिए
धन का महत्व जानना चाहिए
जिंदगी में धन अनिवार्य है श्रीनिवास!

मेहनत का संपदा अच्छा है
संपदा से जीवन बदलता है
जीवन में धन मूल्यवान है
धन से जीवन सुख बनता है
धन कमाने के यत्न करो श्रीनिवास!

धोखे से धन पाना अच्छा नहीं
चोरी से धन पाना अच्छा नहीं
झूठे से धन पाना अच्छा नहीं
मूर्ख से धन पाना अच्छा नहीं
धन के प्रति सावधान होना है श्रीनिवास!

हिंदी हमारी

हिंदी हमारी
सब की प्यारी
सीख जरूरी
बने नौकरी
हिंदी की भाषा श्रीनिवास!

सरल भाषा
मधुर भाषा
सुबोध भाषा
सुंदर भाषा
हमारी हिंदी श्रीनिवास!

हिंदी से मिला
एकता भला
गौरव मिला
हम को भला
बढ़िया भाषा श्रीनिवास!

देश की शान
हम को मान
सब का प्राण
हिंदी का ज्ञान
गर्व की भाषा श्रीनिवास!

जन की भाषा
देश की भाषा
प्राचीन भाषा
प्रेम की भाषा
सांस की भाषा श्रीनिवास!

प्यारी की हिंदी
माथे की बिंदी
न्यारी की हिंदी
देश की हिंदी
श्रेष्ठ हिंदी श्रीनिवास!

स्वाभिमान है
अभिमान है
अखंडता है
अविभाज्य है
हिंदी से मिला श्रीनिवास!

हिंदी

हिंदी भाषा मधुर,सुबोध है
कई भाषाओं के शब्द मिलते हैं
यह भाषा महान,अविभाज्य है
हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है
देश में अधिक लोग बोलते श्रीनिवास!

एकता के सूत्र मे बांधती है
आपस मे मित्रता बढ़ती है
बोलने,समझनेवाले अधिक हैं
इससे रोजगार प्राप्त होता है
हिंदी जोड़नेवाला भाषा है श्रीनिवास!

देश विशाल पुष्प वन देश है
भाषाएँ रंग-बिरंगे फूल हैं
हिंदी में प्राचीन साहित्य है
यह संस्कृत गर्भित भाषा है
हिंदी देश की राजभाषा श्रीनिवास!

प्रयास

मानव निरंतर कार्यशील है
जीत के लिए प्रयास करता है
परीक्षा में पास होना चाहता है
उज्वल भविष्य भी अभिलाषा है
सफलता केलिए प्रयत्न करो श्रीनिवास!

नौकरी केलिए प्रयास करो
गीत गाने केलिए भी करो
अभिनय के लिए कोशिश करो
कला सीखने का यत्न करो
ये सब प्रयत्न से संभव होते श्रीनिवास!

ज्ञान केलिए प्रयास करो
अपना लक्ष्य को प्राप्त करो
आगे बढ़ने का प्रयत्न् करो
अपना कर्तव्य पालन करो
ढूढ संकल्प से प्रयत्न करो श्रीनिवास!

पर्वत चढ़ने का प्रयास करो
मंजिल पहुंचने का यत्न करो
स्वीय वृद्धि केलिए प्रयास करो
तुम निरंतर परिश्रम करो
सारी जिंदगी कोशिश करना श्रीनिवास !

मातृभूमि

हम भूमि पर खड़े होते हैं
इसे कई सुविधाएं पाते हैं
सुविधाएं पाकर खुश होते हैं
खुश से जीवन स्वस्थ होते हैं
भूमि से कई फायदा होते हैं श्रीनिवास!

हम भूमि को आभार करते हैं
क्योंकि मिट्टी में पौधा फूटते हैं
वे बड़े होकर सुंदर होते हैं
इसे प्रकृति हरा भरा होते हैं
भूमि पर कूड़ा मत डालना है श्रीनिवास!

माँ बच्चों का जन्म देती है
वैसे पालन पोषण करती है
वैसे भूमि में खनिज मिलता है
खनिज से भूमि अमूल्य होता है
क्योंकि भूमि माता के समान हैं श्रीनिवास!

पर्यावरण

पेड़ पौधों का देखबाल करो,
धर्ती पर प्रदूूषण दूर करो,
जन्मभूमि का संरक्षण करो,
जीव जंतुओ की सुरक्षा करो,
प्रकृति-पर्यावरन रक्षा करो श्रीनिवास!

पेड़ पौधों से वर्षा होता है
बीज अंकुरित होता है
इनसे हरियाली बढ़ती है
पर्यावरण शुद्ध होता है
इनका रक्षा करना चाहिए श्रीनिवास!

पेड़ के अनेक नाम होते हैं
इनसे कई फायदे होते हैं
वे बड़े और छोटे भी होते हैं
इनसे आक्सीजन मिलता है
पेड़ पौधों की रक्षा करो श्रीनिवास!

कुछ पेड़ सुगंध से भरे होते
वे नित्य हरा भरा रहते
वे पथिक को छाया देते
लोग पेड़ों को पूजा करते
पेड़ पौधों को रोपणा चाहिए श्रीनिवास!

फूलों से माला बनाते हैं
पत्तों से कई उपयोग होते है
लकड़ी से कई चीजें बनती है
जड़ों से कई दवाये बनते हैं
पेड़ परोपकारी है श्रीनिवास!

वृक्षों को अधिक लगावो,
स्वच्छ प्राणवायु को पावो,
धरती को हरा भरा बनावो,
कुदरत,मनोरंजन को पावो,
विश्व वन महोत्सव मनावो।

कफ़न

चेहरे पर मुस्कराहट का
कफ़न ओढ़कर चलते हैं
हताशा और निराशा को चलो आज
मन के संदूक में ताला लगाकर बंद करते हैं
सपने क्या हैं ?
पानी का बुलबुला
इन पानी के बुलबुलों को
आज मिट्टी में दफन करते हैं
हताशा और निराशा को चलो आज
मन के संदूक में
ताला लगाकर बंद करते हैं
कफ़न हो
सफेद मोतियों सा
मिट जायें जिसमें
सांसारिकता के सारे भेदों का
घनघोर अंधेरा
जीवन के इस रंगमंच को
ह्दय के भाव अभिनय और कला के द्वारा अभिव्यक्त करतें हैं
हताशा और निराशा को आज
मन के संदूक में
ताला लगाकर बंद करतें हैं
चेहरे पर मुस्कराहट का
कफ़न ओढ़कर चलते हैं
हताशा और निराशा को
मन के संदूक में आज ताला लगाकर बंद करतें हैं
चेहरे पर कफ़न
मुस्कुराहट का ओढ़कर चलतें हैं …
कफ़न ओढ़कर चलतें हैं
मुस्कुराहट का…

गुमसुम जब दिल तड़पे

प्रकृति को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

पर्वत को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

नदियाँ को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

झरना को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

मित्रों को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

प्रेमिका को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

ईश्वर को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

इंद्रधनुश को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

पत्नी को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

हवा को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

अपमान

संघ की सेवा करता नहीं है
सेवा के लिए आशक्ति नहीं है
जिंदा में श्रेष्ठ बनता नही है
और गौरव से जीवित नही है
इसे तुम अपमानित होता है श्रीनिवास!

सच्चाई से बोलना नहीं तो
आत्मबल से जीना नही तो
विश्वास से रहना नही तो
भ्रष्टाचार को दूर नही तो
इससे अपमान बढ़ते हैं श्रीनिवास !

समाज की बुराई करना
दूसरों से धोखा देना
गुरु से झूठ बोलना
मित्रों से मजाक उड़ाना
ये सब से अपमान होते हैं श्रीनिवास!

धिक्कार है तुम पर

संघ की सेवा करता नहीं है
सेवा के लिए आशक्ति नहीं है
जिंदा में श्रेष्ठ बनता नही है
और गौरव से जीवित नही है
इसे तुम अपमानित होता है श्रीनिवास!

सच्चाई से बोलना नहीं तो
आत्मबल से जीना नही तो
विश्वास से रहना नही तो
भ्रष्टाचार को दूर नही तो
इससे अपमान बढ़ते हैं श्रीनिवास !

समाज की बुराई करना
दूसरों से धोखा देना
गुरु से झूठ बोलना
मित्रों से मजाक उड़ाना
ये सब से अपमान होते हैं श्रीनिवास!

गणेश

गणेश आया
खुश हो गया
आशीश दिया
विघ्न हटाया
भक्तों की इच्छा श्रीनिवास!

लंबे पेट है
बड़े कान है
मुख खूब है
सिर हाथी है
गणेश रूप श्रीनिवास!

क्लेश मिटाता
मोक्ष प्रधाता
विद्या विधाता
पुण्य का दाता
भक्तों का प्यार श्रीनिवास!

श्रीनिवास यन
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