ए०पी०जे०अब्दुल कलाम ( एक घटना ) | A.P.J. Abdul Kalam Kavita
ए०पी०जे०अब्दुल कलाम ( एक घटना )
( A. P. J. Abdul Kalam Kavita )
कल का जीवन किसने देखा,जो सोचा क्या सब पाई ली है
है कठिन-सरल निष्ठुर-मृदुल ,जीवन की बात निराली है
जीवन लीला पर चली कलम, लिख दी बातों की बात गजब
जिस रूप में जीया जीवन को,रच दी इतिहास हो अब या तब
जज्बात की बात कमाल सुनो,रचती कलमें इतिहास सुनो
न हिन्दू की न मुस्लिम की, जीवन का हास परिहास सुनो
है कौन जानता ना जग में, कविता जिसका गुण गाती है
हैं अभिमान देश के गौरव, दुनिया निश शीश झुकाती है
है सलाम नित् उस कलाम को, करता मैं प्रणाम तुम्हें
शत् शत् नमन करूं मैं वंदन, अर्पित सुमन तमाम तुम्हें
जीवन में क्षोभ विक्षोभ भरे,कुछ बहुत बुरे कुछ प्यारे थें
कुछ घटित हुआ घटना ऐसे,जब जीवन अब्दुल हारे थे
हो गये फेल न पास हुए, अंदर ही अंदर टूट गये
सूना लगता संसार उन्हें,मानो अपने सब रूठ गये
था लगता जीवन भार उन्हें,तब जीवन चले मिटाने थे
वे ऋषिकेश के गंगा में ,मरने को मन में ठाने थे
कुदरत का खेल निराला है, न मिटता कभी मिटाने से
खुद को जीत सको तो जीतो,न होगा कुछ, मर जाने से
एक संत ने देख लिया फिर, मरने से रोका इनको
जीवन मिला है जीने को फिर, मरने से खुद को रोको
हे अंतर्दशी संत आप है, मैं निराश हूं जीवन से
कैसे क्या लेकर घर जाऊंअब,शेष नहीं है कुछ मन में
बेंच दिए गहना घर के, पढ़ने को मन में ठाने थे
कुछ बनकर वापस आयेंगे, सपनों के हुए दिवाने थे
पर हुआ नहीं जो सोचें थे,कुछ जीवन में कर जाने को
पर लिए हौसला हिम्मत से, उड़ते देखा परवाने को
इसीलिए समझा अच्छा, मैं खुद ही खुद मर जाने को
अब रहा नहीं इस जीवन में, कुछ अपनों को दे जाने को
हर कोई व्यक्ति विशेष यहां, ईश्वर ने सबको प्यार किया
भेज भेज कर इस दुनिया में, सबको अपना स्थान दिया
जीवन में ऐसा कर्म करो,कि जीवन कही यह व्यर्थ न हो
कुछ कमाल कर दो कलाम,कि तेरा जीवन नर्क न हो
बदल गया फिर वह कलाम, जो नाप लिया धरती आकाश
सूरज की किरणों सा चमका , किया निरन्तर जो प्रयास
ज्ञान तुम्ही विज्ञान तुम्हीं हो
गौरव गरिमा शान तुम्हीं हों
गुरु ग्रंथ,व पवित्र बाइबल
गीता और कुरान तुम्हीं हो।
राजनीति विज्ञान प्रोफेसर
ज्ञान विज्ञान महान तुम्हीं हो
पद्मविभूषण भूषण ब्राउन
भारत रत्न सम्मान तुम्हीं हो
बने मिसाइल मैन देश का
भारत का अभियान तुम्हीं हो।