लाल-लाल आंखें तेरी | Aankh par Kavita
लाल-लाल आंखें तेरी
( Lal-lal aankhen teri )
लाल-लाल आंखें तेरी काले काले बाल।
गोरे गोरे गाल गुलाबी मोरनी सी चाल।
खुशी की फुलझड़ी जिद पे चाहे अड़ी।
रोक-टोक घड़ी-घड़ी आफत गले पड़ी।
मौसम की बहार है रंगों की फुहार है।
दिल के जुड़े तार मेरा पहला प्यार है।
उमंग जगाती मन में सागर लहरों सी।
नजरें गड़ाए रखे तेरी आंखें पहरों सी।
पल-पल साथी तेरा प्रगति में हाथ तेरा।
कविता लिखने बैठूं लूट लेती चैन मेरा।
रंग बसंती छाया चमन सारा महकाया।
खिली फिजाओं सी सुंदर गोरी काया।
कभी अप्सरा सी हो कभी मेनका सी।
रणचंडी महाकाली कभी प्रेमपाती हो।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )