
आयल फगुनवाँ घरे-घरे!
( Ayal fagunwa ghare – ghare )
आयल फगुनवाँ घरे -घरे,
चोलिया भीगै तरे -तरे। (2)
होली है……..
बाजै लै ढोल औ बाजै मृदंग,
उड़े ग़ुलाल लोग पीते हैं भंग।
कोई न होश, न कोई बेहोश,
मारे पिचकारी खड़े -खड़े।
आयल फगुनवाँ घरे -घरे,
चोलिया भीगै तरे -तरे। (2)
होली है…..
गोल-गोल दुनिया घूमत बा गोरी,
लग जाई झटका उमर बा कोरी।
जयपुर कै लहंगा,बनारस कै साड़ी,
सरकी सड़िया धीरे-धीरे।
आयल फगुनवाँ घरे -घरे,
चोलिया भीगै तरे -तरे। (2)
होली है…..
लबालब रंग से भरी बा ई बल्टी,
करबू नदानी तो होई जाई गलती।
खइलू तू कोउवा, खाई के मुसरवा,
लूटा बाहर आके गले -गले।
आयल फगुनवाँ घरे -घरे,
चोलिया भीगै तरे -तरे। (2)
होली है…..
रामकेश एम.यादव (रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक),मुंबई