आपका अपना

( Aapka Apna ) 

 

कभी-कभी
उन्हें भी आजमाते रहिए
जिन्हें आप दिल में रखते हैं
दिमाग में तो भीड़ ही भीड़ रहती है

वक्त की कसौटी पर देखना जरूरी है
कि कौन होता है साथी बुरे वक्त का
सही वक्त मे तो सभी अपने हैं

आपका उत्तरदायित्व तो
परिवार और समाज सभी पर है
किंतु आपकी जिम्मेदारी कौन लेगा
यह भी तो पता होना चाहिए.

आप सब में हैं सबके लिए हैं
मगर अकेले हैं या साथी भी है कोई
यह तो आपको ही तय कर लेना चाहिए

सक्रियता ही भविष्य को जन्म देती है
निष्क्रिय हो जाने पर
केवल मलाल और पछतावा ही रहता है

स्वयं के प्रति भी सचेत रहें
यही आपका अपना होगा
वक्त तो परिवर्तनशील है
जो आज है वह कल नहीं होगा

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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