अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय पंजाब शाखा द्वारा ऑनलाइन लाइन साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन

अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय पंजाब शाखा द्वारा दिनांक 7 जुलाई को ऑनलाइन लाइन आयोजन किया, जिसके अध्यक्षता करते हुए बैंगलोर के सुप्रसिद्ध विद्वान चिरंजीव सिंह ने अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय भाषा और साहित्य के स्तर पर भारत की एकता और संस्कृति के लिए उत्कृष्ट प्रयास के लिए बधाई देते हुए कहा कि पंजाब की भाषा अत्यंत मधुर है और भले ही उन्होंने सालों पहले पंजाब से अन्य प्रदेश में आ गया हूँ, किन्तु जन्मभूमि की सोंधी खुशबू आज भी साँसों में बसी है।

वैचारिक और मानसिक स्तर पर मानव कभी भी अपनी माता और मातृभूमि से दूर नहीं हो सकता। कार्यक्रम का आरम्भ दीप प्रज्वलन द्वारा संस्था के संरक्षक कमल किशोर राजपूत ने किया। औरंगाबाद से हरप्रीत कौर ने पंजाबी भाषा में एक विशेष आरती सुनाई जो कि जगन्नाथ पुरी में रची गई थी।

पल्लवी शर्मा ने मधुर स्वर में अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय का ध्येय गीत सुनाया। मनिन्दर कौर ने कार्यक्रम अध्यक्ष चिरंजीव सिंह जी व मुख्य अतिथि गुरमीत सिंह का परिचय व स्वागत किया । डॉ इन्दु झुनझुनवाला ने अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय का परिचय देते हुए सभी का अभिनन्दन किया और बताया कि अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय का मुख्य उद्देश्य भारतीय प्रांतों की संस्कृति से एक दूसरों का परिचय कराकर सम्पूर्ण वृहत भारत को एक सूत्र में और भी मजबूती से जोड़ना है।

पंजाब शाखा की अध्यक्ष मनिन्दर कौर ने संचालक प्रीतमा का परिचय देते हुए उनका स्वागत करते हुए उन्हें मंच सौपा।
संचालक प्रीतमा ने अपने सुन्दर संचालन से सभी का मन मोह लिया उन्होंने बीच-बीच में  उदाहरण देते हुए कहा-अज्ञेय, निराला , महादेवी आदि महान साहित्यकारों  की पंक्तियाँ भी प्रस्तुत की।
अज्ञेय -“कुछ भी मेरे सपनों से बडा नही,,, झूमता हूँ गिरता हूँ फिर आगे बढ़ता हूँ।”

वरिष्ट कवि प्रितपाल सिंह ने चश्मे को विषय बनाकर पंजाबी भाषा में बहुत ही सुन्दर कविता “हाँ मैं चश्मा” सुनाते हुए एक छोटे से विषय को नया रंगा दिया, जो काबिले तारीफ है।

रचनाकार रवि चड्डा ने दर्दनाक व अध्यात्म को विषय बनाकर सुनाई कविता पंजाबी में-
‘जोडा दोस मे दिख्या, सब है मेरे अन्दर।’

पंजाब के सुप्रसिद्ध कवि राजविंदर सिंह गड्डू ने ‘जीव दा रास’ नामक  दार्शनिक कविता सुनाई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गुरमीत सिंह ने बडी विनम्रता के साथ अपनी बात रखते हुए एक आध्यात्मिक रचना सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

सुप्रसिद्ध गायक जस्सी धरोड ने अपनी कविता मधुर कंठ से गाकर सबका मन मोह लिया। अनुष्का सेन जो कि नवमी की छात्रा हैं,  ने स्त्री एक पहेली है कविता सुनाई और सभी का मन मोह लिया।

महादेवी वर्मा की पंक्तियाँ – कहाँ रहेगी चिडिया का उदाहरण दिया संचालक प्रीतमा ने। जगदीश कौर ने प्यार भरी सत श्री अकाल करते हुए खालसा विषय को लेकर कविता सुनाई, जिसमें खालसा की महानता का बयान किया।

डॉ टिक्का टी एस सिद्धु ने अपनी पहली  किताब 1970 कहानियों पर आई उसके बारें में बताया। दर्द-ए-दिल कांटा रहया” गजल सुनाई। सरिता झुनझुनवाला ने मधुर स्वर में भक्ति भाव से माता की भेंट सुनाई।

परमजीत कौर ने पंजाब का लोकगीत बहुत ही मीठे स्वर में सुनाकर सभी का मन मोह लिया और कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिया। मनिन्दर कौर ने अपने प्रभावशाली अन्दाज में बिखरते रिश्तों पर एक प्यारी कविता ‘कुछ रिश्तों को संजोकर रखना’ सुनाई।

आस्ट्रेलिया से जुडी  परम विदूषी डॉ मृदुल कीर्ति ने इस आयोजन को अत्यन्त सार्थक, सफल और रोचक बताया।
डॉ इन्दु झुनझुनवाला ने स्वर्ण मन्दिर की यादों से जुडी ईश्वर से बातचीत की एक कविता सुनाई।

फिर से संचालन को प्रभावशाली बनाते हुए सूर्यकान्त त्रिपाठी की पंक्ति संचालक प्रीतमा जी ने सुनाई। – “भर गया संसार,, जल उठो फिर सींचने को”

सुप्रसिद्ध पंजाबी कवि गुरमीत सिंह ने पंजाबी बोलने पर गर्व करते हुए अपनी माँ पंजाबी भाषा की महानता बताते हुए इसी विशय पर अपनी कविता सुनाई।

संस्था के मुख्य परामर्श दाता डॉ प्रेम तन्मय सभी को बधाई देते हुए “अनमनी हो शाम तो किताब पढे – सुनाया ।
कमल किशोर राजपूत ने “दिल तुझे मैं आजमाना चाहता हूँ “ नामक गाकर सुनाई।

प्रीतमा ने छन्द कोड़ा ( मनहर छन्द ) में जिन्दगी की अन्तिम सच्चाई को अपनी कविता में व्यक्त किया और तरन्नूम मे सुनाया खाली हाथ जाना। तत्पश्चात डॉ प्रेम तन्मयडॉ इन्दु झुनझुनवाला ने इस अप्रतिम आयोजन सभी को बधाई व शुभकामनाएँ देते हुए संचालक प्रितमा व शाखा अध्यक्ष मनिन्दर कौर की भूरि -भूरि प्रशंसा करते हुए आभार व्यक्त किया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में चिरंजीवी सिंह ने कहा कि यह बहुत ही प्रेरणादायी आयोजन है और भारत की एकता और अखंडता के लिए सभी भाषाओं के समन्वय का कार्य अत्यावश्यक भी है अतः इसप्रकार के आयोजन लगातार होते रहना चाहिए।
अन्त में शाखा सचिव सरिता झुनझुनवाला ने सभी का धन्यवाद दिया।

इस आयोजन में देश-विदेश के अनेकों श्रोताओं ने भी अपनी भागीदारी निभाई और इसे अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय के सफलतम कार्यक्रमों में से एक बताया।

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