अगर जीना है दुनिया में सहारे छोड़ने होगे
अगर जीना है दुनिया में सहारे छोड़ने होगे

अगर जीना है दुनिया में सहारे छोड़ने होगे

( Agar Jeena Hai Duniya Mein Sahare Chhodne Honge )

 

अगर जीना है दुनिया में सहारे छोड़ने होगे।
बहो मँझधार में बेशक किनारे छोड़ने होगे।।

 

नहीं हमदर्द कोई भी दिखावा सब करे बेशक।
नज़र  आती है जो रौनक नजारे छोड़ने होगे।।

 

बहुत धुंआ उगलती है जले अरमान की लाशें।
उजालों की है ग़र चाहत सितारे छोड़ने होगे।।

 

करेगा वक्त ही सीधा चले जो राह उल्टी पे।
मनाना सीख- देना काम सारे छोड़ने होगे।।

 

कहो जो साफ कहना है क्यूं बातों को घुमाते हो।
करो  अल्फाज़  में  बातें  इशारे  छोड़ने  होगे ।।

कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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