ऐसा जहां में देखो हुस्ने शबाब उतरा

ऐसा जहां में देखो हुस्ने शबाब उतरा | Ghazal India

ऐसा जहां में देखो हुस्ने शबाब उतरा

( Aisa jahan mein dekho husne shabab utra )

 

ऐसा जहां में देखो हुस्ने शबाब उतरा

जैसे जमीं पे ए यारों आफ़ताब उतरा

 

जिसकी महक ने ही दीवाना बना दिया है

दिल में मगर ऐसा वो मेरे गुलाब उतरा

 

उल्फ़त फ़ना दिलों से अब हो गयी यहां तो

दिल में ही नफ़रतों का ऐसा अजाब उतरा

 

है आरजू बनाने की अब उसे अपना ही

की रात आंखों में ऐसा हुस्ने ख़्वाब उतरा

 

मांगा हिसाब जब उससे अपनी तो वफ़ा का

उसके न होठों से कोई भी ज़वाब उतरा

 

हर चेहरे में ऩजर आऐ वो मुझे ए यारों

ऐसा निगाहों में मेरे वो ज़नाब  उतरा

 

दीदार कर लेता मैं उस हुस्न का जी भरके

आज़म न शक्ल से उसके वो नक़ाब उतरा

     ✏

शायर: *आज़म नैय्यर*

*(सहारनपुर )*

 

यह भी पढ़ें : 

 

था वो हुस्नो शबाब से पानी | New ghazal

 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *