महका है गुल ज़नाब सावन का
( Mahaka hai gul janab sawan ka )
महका है गुल ज़नाब सावन का !
देता ख़ुशबू गुलाब सावन का
कैसे दीदार हो हंसी का फ़िर
फ़ूलों पे जब हिज़ाब सावन का
प्यार हो जैसे बरसें है ऐसे
की नहीं है ज़वाब सावन का
हुस्न की बारिश में नहाऊं मैं
बरसें है आफ़ताब सावन का
रात दिन याद में देखो उसकी
आँखों में रोज़ आब सावन का
कैसे मिलनें जाऊं उसे यारों
है मौसम ए – ख़राब सावन का
प्यास तन की बुझा दें आज़म की
है चढ़ा जो शबाब सावन का