Ik Pal
Ik Pal

इक पल

( Ik pal ) 

 

वक्त के
गुबार से
निकला हुआ
अधूरे अधजले
ख्वाबों की
खाक में
लिपटा हुआ
वो इक
‘पल’
रूबरू
आ गया
हो जैसे…
खुद ही उसकी
राख उतार
खारे पानी से
धो संवारकर
संजोकर
संभाल कर
उस इक
‘पल’
को अब
कई बार
जी जाना है मुझे

 

Suneet Sood Grover

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

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