अखंड भारत | Akhand Bharat
अखंड भारत
( Akhand Bharat )
अखंड भारत , अद्भुत अनुपम नजारा
अनूप वंदन सनातन धर्म,
कर्म धर्म मोहक पावन ।
मानवता सदा श्री वंदित,
सर्वत्र समृद्धि बिछावन ।
स्नेह प्रेम अपनत्व अथाह,
सदाचारित परिवेश सारा ।
अखंड भारत,अद्भुत अनुपम नजारा ।।
नदी पर्वत मैदान पुनीत,
समरसता मृदुल स्वर ।
सत्य नित्य मनुज संगी,
उद्गार ओजस्वी प्रखर ।
नैसर्गिक शीतल छांव ,
जीवन शैली सात्विक धारा ।
अखंड भारत, अद्भुत अनुपम नजारा ।।
फिर कुत्सित चाल वश,
राष्ट्र मूल आभा शिकार ।
अनंत स्वयं भू पंथ निर्माण ,
जनमानस उत्पन्न विकार,
विदेशी आक्रांता आक्रमण,
प्रसरित भेद विभेद एकता किनारा ।
अखंड भारत, अद्भुत अनुपम नजारा ।।
फिरंगी फूट डालो नीति कारण,
सनातन भू अनंत भाग ।
बने तिब्बत नेपाल भूटान श्री लंका ,
अफगान म्यांमार बांग्लादेश पाक ।
उत्पन्न जाति धर्म भेदभाव,
विलोपन स्नेहिल भाईचारा ।
अखंड भारत, अद्भुत अनुपम नजारा ।।
आज भी पृथक राष्ट्र धरा,
दर्शित भारतीयता झलक ।
आकर्षण हिंदुत्व अलौकिकता,
फिर विलय आतुर ललक ।
अब पूर्ण हो रामराज्य कल्पना ,
गूंजे जय श्री राम जयकारा ।
अखंड भारत, अद्भुत अनुपम नजारा ।
महेन्द्र कुमार
नवलगढ़ (राजस्थान)