![Man ka Mehfil](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2023/10/Man-ka-Mehfil-696x392.jpg)
मन का महफ़िल
( Man ka mehfil )
महफिल के वे शब्द
“तुम मेरे हो”
आज भी याद आते हैं ,
गीतों के सरगम
मन को छू जाते हैं
रह-रह कर सताते हैं
दिल की धड़कन
बढ़ बढ़ जाते हैं
वही सजावट बनावट
नैनों में छपा चेहरा
जिसके लिए मैं
देता था पहरा
बसती है आज भी
सदा सदा के लिए
मन के इस महफिल में
मेरे लिए।
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