अलख निरंजन

( Alakh Niranjan )

 

भज अलख निरंजन प्यारे, अलख निरंजन गाता जा।
ये दुनिया सब मोह माया है, जग में प्यार लुटाता जा।
अलख निरंजन गाता जा

खाली मुट्ठी आया जग में, मानव हाथ पसारे जायेगा।
क्या खोया क्या पाया नर, किसका हिसाब लगाएगा।
यह दुनिया एक रंग मंच है, बस किरदार निभाता जा।
भज ले भोलेनाथ शिवशंकर, स्नेह सुधा बरसाता जा।
अलख निरंजन गाता जा

तन नश्वर माटी का पुतला, सब माटी में मिल जाएगा।
हम कठपुतली वो बाजीगर, क्या-क्या खेल दिखाएगा।
दुनिया का करतार ईश्वर, तन मन से ध्यान लगाता जा।
सबके पालनहारे परमेश्वर, भक्त गीत प्रेम से गाता जा।
अलख निरंजन गाता जा

धन दौलत सब माल खजाने, एक दिन यहीं रह जाएगा।
जब आए बुलावा प्यारे, पंछी पिंजरा तोड़ उड़ जाएगा।
शुभ कर्मों की सौरभ लेकर, कीर्ति पताका लहराता जा।
भावों के शब्द सुमन ले, प्यारे पूजन थाल सजाता जा।
अलख निरंजन गाता जा

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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