कार्तिक पूर्णिमा | Kartik Purnima
कार्तिक पूर्णिमा
( Kartik purnima )
कार्तिक पूर्णिमा पावन पर्व स्नान ध्यान दान का।
देव दिपावली त्योहार मनाते सनातन विधान का।
गंगा धारा में दीपक पूजन अर्चन हो श्रद्धा भाव से।
मनोकामना पूर्ण होती धन वैभव हो शुभ प्रभाव से।
सहस्त्रों नर नारी नदी तट भाव भक्ति से करें स्नान।
नारायण की पूजा होती शिव शंकर का धरते ध्यान।
काशी हरिद्वार पुष्कर में जन सैलाब उमड़ता भारी।
व्रत जागरण घर-घर होता पुण्य पाए नर और नारी।
त्रिवेणी संगम लगे मेला साधु संतों का होता संगम।
त्रिपुरा पूर्णिमा सुखदाई सुरसरि तीर्थ होता विहंगम।
विधि विधान पूजन हरि का आस्था श्रद्धा हो सदाचार।
सत्कर्म पुण्य प्रताप से मिले जग में यश कीर्ति अपार।
सुख समृद्धि घर में आती संपन्नता से भंडार भरे हो।
खुशहाली घर में आए घट घट में शुभ भाव धरे हो।
परिवार शुभ मंगलमय हो खुशियों की लहर आए।
मन वचन कर्म से पूजा मनोरथ सब सिद्ध हो जाए।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )