Dil ke Mai - Kade
Dil ke Mai - Kade

तालमेल का नाम जिन्दगी

( Talmel ka Nam Zindagi ) 

 

तू मेरी नज़्म ही सही पर आया तो करो,
आकर मेरे ख्वाबों को सताया तो करो।
इसी तालमेल का नाम है जिन्दगी महबूबा,
मेरी तन्हाइयों में आग लगाया तो करो।

बे -जमीरों के झाँसे में कभी आना नहीं,
ऐसे गैरतों से खुद को बचाया तो करो।
मेरे आरजुओं के चराग़ तू बुझने न देना,
अपनी जुल्फों की साया से बचाया तो करो।

मेरी आँखों को मिलता है सुकूँ तुमसे मिलके,
बस अपने होने का अहसास कराया तो करो।
मैंने जुर्म क्या किया कि मिली इतनी बड़ी सजा,
मुझे अपना नूरानी चेहरा दिखाया तो करो।

तुझे छूने की मुझे कोई हवस भी नहीं,
अपनी दरिया में रोज नहलाया तो करो।
होता रहे दीदार बस इतना है मुझे काफी,
मगर दुनिया के हंगामें से बचाया तो करो।

इतना भी न पिलाओ तेरी बाँहों में गिर पड़ूँ,
आँखों का क्या कसूर घर पहुँचाया तो करो।
तेरे रंग में रंग चुका पूरी तरह से मैं,
मेरे दर्द की गहराइयों को बताया तो करो।

 

रामकेश एम.यादव (रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक),

मुंबई

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