अन्नदाता की पुकार
अन्नदाता की पुकार
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हम अन्नदाता है साहब
चलते हैं सदा सत्य की राह पर
करते है कड़ी मेहनत
चाहे कड़ी धूप य हो बारिश
घनघोर कोहरा या हो कड़ाके की सर्दी
दिन हो या काली रात
खेतों में लगाता हूं रात भर पानी
तब कहीं जाकर उगाता हूं अन्न
सोता नहीं चैन की नींद
सो जाऊं जो मैं चैन की नींद
कैसे उगाऊंगा तुम्हारे लिए अन्न
कहते हो मुझे अन्नदाता
फिर क्यों करवाते हो एफ आई आर
भिजवा कर जेल
कहां किए अन्नदाता का सम्मान
इक दिन जो अपना न दूं अन्न
मालूम हो जाएगा तुम्हें तुम्हारी औकात
हम कर रहे हैं
सभी जीवों पर उपकार
फिर भी भिजवाते हो
हुजूर हमको जेल
हमारी गलती हुई थोड़ी ये जो
दुबारा फसल उगाने खातिर
जलाया जो पराली
करवा एफ आई आर
भिजवाते हो हुजूर जेल
हमारी छोटी सी गलती पर
देते हो इतनी बड़ी सजा हुजूर
सरकार आप भी कहां
किए हैं कानून का पालन?
बिहार की रैलियों में आप भी कहां
किए हैं लाक डाउन पालन?
लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा
(ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )
उत्तर प्रदेश : Pin-212218